नई दिल्ली, 18 जुलाई 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Yshwant Verma) ने अपने दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर भारी मात्रा में जले हुए नकद मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीन जजों की इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करने की मांग की है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था।
इसके साथ ही, जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई महाभियोग की सिफारिश को भी चुनौती दी है। यह याचिका संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले दायर की गई है, जो 21 जुलाई से शुरू हो रहा है
क्या है पूरा मामला ?
मामला 14 मार्च 2025 की रात का है, जब जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगी। आग बुझाने पहुंची फायर ब्रिगेड को वहां जली हुई 500 रुपये की नोटों की गड्डियां मिलीं, जिसके बाद यह विवाद सुर्खियों में आया।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी, जिसमें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं।
कमेटी ने 42 दिन की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि की और कहा कि स्टोर रूम में भारी मात्रा में नकदी थी, जिसका स्रोत वर्मा स्पष्ट नहीं कर सके।
जस्टिस वर्मा ने क्या कहा ?
जस्टिस वर्मा ने याचिका में दावा किया कि जांच कमेटी ने उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं दिया और नकदी के स्वामित्व की गहन जांच नहीं की गई। उन्होंने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि उनके परिवार ने कभी स्टोर रूम में नकदी नहीं रखी।
केंद्र सरकार मॉनसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है, जिसे विपक्ष भी समर्थन देने को तैयार है। जस्टिस वर्मा ने पहले इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद यह मामला और गंभीर हो गया।
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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पृष्ठभूमि क्या है?
उनका जन्म प्रयागराज में हुआ था और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से वाणिज्य स्नातक (ऑनर्स) की उपाधि प्राप्त की। बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (एलएलबी) की उपाधि प्राप्त की।
क्या यशवंत वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं?
13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 1 फरवरी 2016 को उस न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 5 अप्रैल, 2025 को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हुए और शपथ ली।