जस्टिस बी.आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. वह बौद्ध समुदाय से पहले और दलित समाज से दूसरे CJI बने हैं.
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण से पहले जस्टिस गवई ने अपनी मां कमलताई गवई का आशीर्वाद लिया और उनके पैर छूकर भावुक क्षण साझा किया.
बौद्ध समुदाय से पहले मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस गवई आजादी के बाद देश के दूसरे दलित समुदाय से आने वाले और पहले बौद्ध समुदाय से संबंधित मुख्य न्यायाधीश बने हैं. उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा. उनके परिवार और शुभचिंतकों के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण रहा. उनकी मां कमलताई ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरा बेटा डेयरडेविल है, उसे कोई झुका नहीं सकता. वह देश के लोगों को पूरी ईमानदारी से इंसाफ देगा.
न्यायिक करियर और प्रमुख फैसले
जस्टिस गवई ने 1985 में वकालत की शुरुआत की और बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में मुख्य रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में विशेषज्ञता हासिल की. 1990 के बाद वह कई सरकारी और स्वायत्त संस्थाओं के लिए वकील रहे, जिनमें नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और विश्वविद्यालय शामिल हैं.
सीजेआई बनने से पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए
- अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखना
- नोटबंदी (डिमोनेटाइजेशन) की संवैधानिकता को वैध ठहराना
- एससी कोटे में उप-वर्गीकरण को सही ठहराना
- के कविता को शराब नीति केस में ज़मानत देना
- तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी की आलोचना
कितने समय का होगा जस्टिस गवई का कार्यकाल
जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा. 23 दिसंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु होने पर जस्टिस गवई का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. वह वर्तमान सीजेआई खन्ना के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं.
Read more : सैयद अरीब बुखारी ने धन्यवाद दिया