सूत्रों से मिली सुचना के आधार पर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मानसून सत्र में महाभियोग लाने की तयारी चल रही है। इसके पहले भी एक बार महाभियोग लाने बात चल रही थी लेकिन अभी सरकार की मंशा साफ़ होती दिख रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इन-हाउस पैनल द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है, जिससे महाभियोग की जमीन मजबूत मानी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब विपक्षी दलों से संपर्क कर रही है ताकि संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत आवश्यक समर्थन जुटाया जा सके.
क्या चाहती है सरकार?
सरकार चाहती है कि यह मामला संसद में सर्वसम्मति से आगे बढ़े, इसलिए विपक्षी नेताओं से बातचीत जारी है. एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, सरकार को उम्मीद है कि विपक्ष भी न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए समर्थन देगा.
महाभियोग प्रक्रिया क्या होती है?
महाभियोग प्रक्रिया क्या होती है?
जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. प्रस्ताव पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से जज को पद से हटाया जा सकता है. यह भी संभावना जताई जा रही है कि जांच की प्रक्रिया सार्वजनिक हो सकती है, जिससे न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ी बहस छिड़ सकती है.
यह भी पढ़ें…
Allahabad High Court: हाईकोर्ट ने कहा-पुराण कानूनी दृष्टि से प्रमाणिक नहीं