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जस्टिस Yshwant Verma कैश कांड: जांच कमेटी के सदस्यों का ऐलान

Vinay
Vinay
जस्टिस Yshwant Verma  कैश कांड: जांच कमेटी के सदस्यों का ऐलान

नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Yshwant Verma) से जुड़े कैश कांड ने सियासी और न्यायिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले की जांच के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और अनैतिक आचरण के आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंपेगी

जांच कमेटी के सदस्य लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने निम्नलिखित सदस्यों को जांच कमेटी में शामिल किया है:
  • अध्यक्ष: जस्टिस अरविंद कुमार (सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज)
  • सदस्य: जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव (मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस)
  • बी. वी. आचार्य (प्रख्यात विधिवेत्ता और कर्नाटक के पूर्व महाधिवक्ता)

मामले का विवरण

जस्टिस यशवंत वर्मा, जो पहले दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे और बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुए, पर आरोप है कि उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी और जले हुए नोट बरामद हुए। यह घटना 2025 की शुरुआत में सुर्खियों में आई, जब दिल्ली पुलिस और फायर सर्विस के अधिकारियों ने उनके स्टोररूम में जली हुई नकदी देखी।

सुप्रीम कोर्ट की एक इन-हाउस जांच कमेटी ने भी जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था, जिसके बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने उन्हें पद से हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी। जस्टिस वर्मा ने इस जांच और सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 7 अगस्त 2025 को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच कमेटी का गठन और प्रक्रिया संवैधानिक थी, और उनके आचरण पर सवाल उठे हैं।

कमेटी का उद्देश्य

यह कमेटी जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करेगी। इसमें नकदी की बरामदगी, इसके स्रोत, और जस्टिस वर्मा की संलिप्तता की गहन पड़ताल होगी। कमेटी को 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश है, जिसके आधार पर संसद में महाभियोग की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।

सियासी हलचल

यह मामला संसद में भी गूंज चुका है। 146 सांसदों, जिसमें BJP सांसद रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता शामिल हैं, ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया है। सपा और कांग्रेस ने इसे BJP के भ्रष्टाचार का सबूत बताया, जबकि BJP का कहना है कि यह निष्पक्ष जांच का मामला है।

जस्टिस वर्मा का दावा है कि नकदी को उनके खिलाफ साजिश के तहत रखा गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके दावों को खारिज कर दिया। कमेटी की रिपोर्ट में 10 चश्मदीदों के बयान और फोरेंसिक सबूतों ने नकदी की मौजूदगी की पुष्टि की है। यह मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जवाबदेही के सवालों को भी उठा रहा है।

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