मिट्टी का काम जोरों पर, 50 कारीगर बना रहे विशाल मूर्ति
हैदराबाद। खैरताबाद गणेश प्रतिमा (Khairatabad Ganesh Idol) को आकार देने का काम पंडाल में तेजी से चल रहा है। विनायक चतुर्थी उत्सव के दौरान लोकप्रिय मूर्ति का मिट्टी का काम अब तक 60 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है। इस वर्ष, खैरताबाद गणेश श्री विश्वशांति महाशक्ति गणपति (Ganapati) की थीम पर भक्तों को आशीर्वाद देंगे। तमिलनाडु और ओडिशा के 50 से अधिक कारीगर 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी उत्सव के लिए 69 फीट ऊंची पर्यावरण अनुकूल मूर्ति को तैयार करने में जुटे हैं।
20 अगस्त तक मूर्ति का निर्माण पूरा कर लेगी समिति
खैरताबाद गणेश प्रतिमा को आकार देने में पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय से जुड़े मूर्तिकार राजेंद्रन ने बताया, ‘गणेश उत्सव समिति 20 अगस्त तक मूर्ति का निर्माण पूरा कर लेगी और मिट्टी का काम पूरा होने के बाद, इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाएगा।’ उन्होंने बताया कि मूर्ति की बारीक़ियों में कारीगरों का समर्पण और कौशल साफ़ दिखाई देगा, जिससे लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
राजेंद्रन के अनुसार, मूर्ति के लिए गुजरात से लाई गई 800 से ज़्यादा मिट्टी की बोरियाँ (प्रत्येक बोरी में 35 किलो मिट्टी) इस्तेमाल की जा रही हैं। उन्होंने बताया, ‘मिट्टी को पानी में मिलाकर लेप बनाया जाता है और फिर उसमें सूखी घास डाली जाती है। फिर इस मिश्रण को पैरों से लेकर सिर तक पूरी मूर्ति पर लगाया जाता है। मिट्टी की ख़ासियत मूर्ति की सुंदरता को और बढ़ा देती है, और विसर्जन के तुरंत बाद यह पिघल जाती है।’
कर्मचारी पूरी निष्ठा से लगे हुए हैं
राजेंद्रन ने बताया कि मूर्ति निर्माण में सभी संबंधित कर्मचारी पूरी निष्ठा से लगे हुए हैं और तीन महीनों के दौरान, पंडाल की रसोई में तैयार सात्विक भोजन ही उन्हें परोसा जाता है। इस दौरान सभी कारीगर मांसाहारी भोजन और शराब से परहेज करते हैं। 2020 में पहली बार, खैरताबाद गणेश की मूर्ति मिट्टी से बनाई गई थी, और गणेश उत्सव समिति त्योहार के दौरान पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए इस परंपरा को जारी रख रही है।खैरताबाद गणेश उत्सव समिति के अध्यक्ष एस राज कुमार ने कहा, ‘समिति का यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता के अनुरूप है। खैरताबाद गणेश प्रतिमा अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है और हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करती है। मिट्टी की मूर्तियों की ओर रुख करना स्थायी उत्सवों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’

खैरताबाद गणेश के पीछे की कहानी क्या है?
हैदराबाद के खैरताबाद गणेश उत्सव की शुरुआत 1954 में सिंघारी शंकर यादव द्वारा हुई थी। हर साल यहाँ विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है, जिसकी ऊंचाई और भव्यता देशभर में प्रसिद्ध है। यह आयोजन सांप्रदायिक सौहार्द और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों को बड़ी संख्या में आकर्षित करता है।
गणेश प्रतिमा कैसे करें?
मिट्टी, शाडू या इको-फ्रेंडली पदार्थ से गणेश प्रतिमा बनाना सबसे उत्तम माना जाता है। निर्माण से पहले भूमि शुद्धि और मंत्रों के उच्चारण द्वारा मूर्ति की स्थापना होती है। इसके बाद रंग, वस्त्र और सजावट के साथ प्रतिमा तैयार की जाती है, फिर घर या मंडप में विधिवत स्थापना होती है।
खैरताबाद गणेश निमाज्जनम कब?
खैरताबाद गणेश की निमाज्जनम (विसर्जन) अनंत चतुर्दशी के दिन होती है, जो गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन आती है। इस दिन हजारों भक्त विशाल प्रतिमा को जुलूस के रूप में हुसैन सागर झील तक ले जाते हैं और पारंपरिक विधि से विसर्जन करते हैं। सुरक्षा और प्रबंध प्रशासन द्वारा किया जाता है।
Read Also : Hyderabad : मत्स्य पालन योजना में देरी से तेलंगाना के मछुआरों में बढ़ी चिंता