कनाडा में मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने, लेकिन खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां जारी हैं. टोरंटो में हिंदुओं के खिलाफ विरोध परेड हुई. कार्नी पर ट्रूडो की नीतियों का बोझ है।
ओटावा: कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के सत्ता से हटने के बाद मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने थे. तब उम्मीद जताई जा रही थी कि वह खालिस्तानियों पर लगाम लगाएंगे और भारत के साथ रिश्ते अच्छे होंगे. कनाडा में चुनाव के बाद एक बार फिर मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी को जीत हासिल हुई है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. चुनाव के तुरंत बाद फिर खालिस्तान समर्थकों ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला. कनाडा के टोरंटो के माल्टन गुरुद्वारे में एक विरोध परेड आयोजित की गई, जिसमें खालिस्तान समर्थकों ने हिंदू समुदाय के लोगों को भारत भेजने की मांग की. इस घटना के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की स्थिति सुधरेगी, या वैसे ही हाल रहेंगे।
इस विरोध परेड का वीडियो ऑनलाइन सामने आया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के पिंजरे में बंद पुतले भी दिखाए गए. हालांकि इन खालिस्तान समर्थकों की हरकत के कारण कनाडा में लोग खुश नहीं हैं. कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने रविवार को कहा कि जिहादी हमारे सड़कों पर उत्पात मचा रहे हैं, यहूदी समुदाय को धमका रहे हैं और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन खालिस्तानी समाज के लिए सबसे खतरनाक खतरा बन गए हैं. क्या कार्नी का कनाडा ट्रूडो से अलग होगा? उन्होंने शॉन बिंडा नामक एक एक्स यूजर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि खालिस्तानी आतंकवादी समूह ने ‘हिंदू विरोधी नफरत’ के कारण यह विरोध प्रदर्शन किया।
हिंदुओं को कनाडा से निकालने की मांग
बिंडा ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘माल्टन गुरुद्वारे (टोरंटो) में के-गैंग ने बेशर्मी से 800,000 हिंदुओं को ‘हिंदुस्तान’ भेजने की मांग की, जिनकी जीवंत समुदाय त्रिनिदाद, गुयाना, सूरीनाम, जमैका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड्स, मलेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, केन्या और अन्य जगहों पर फैली हुई है. यह भारत सरकार के खिलाफ विरोध नहीं, बल्कि खालिस्तान आतंकवादी समूहों की ओर से हिंदू-विरोधी नफरत है. ये समूह 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट जैसे कनाडा के सबसे घातक हमले के लिए कुख्यात हैं, फिर भी खुलेआम नफरत फैलाते हैं.’ बिंडा ने इसे खालिस्तान आतंकवाद करार दिया।
कार्नी पर ट्रूडो की नीतियों का बोझ
यह परेड कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी की 2025 की राष्ट्रीय चुनाव जीत के कुछ ही दिनों बाद हुई. कार्नी ने समय से पहले चुनाव करवाने के लिए संसद भंग की थी, ताकि नया जनादेश हासिल हो. ट्रूडो की नीतियों ने भारत-कनाडा संबंधों को तनावपूर्ण बनाया, खासकर 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद. भारत ने कनाडा को खालिस्तानी आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना बताते हुए बार-बार चेतावनी दी है. मार्क कार्नी के सामने अब कनाडा की एकता और भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ संबंधों को संतुलित करने की चुनौती है।