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HP: हर 12 साल में बिजली महादेव मंदिर में गिरती है आकाशीय बिजली

Kshama Singh
Kshama Singh
HP: हर 12 साल में बिजली महादेव मंदिर में गिरती है आकाशीय बिजली

अनिश्चितकाल के लिए किया गया बंद

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बिजली महादेव मंदिर (Bijli Mahadev Temple) स्थित है। हाल ही में बिजली महादेव मंदिर को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। जिसको अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि मंदिर समिति ने काशवरी गांव (Kashvari Village) में स्थित मंदिर को बंद करने की सूचना के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं। लेकिन अफवाह है कि पिछले दिनों मंदिर में बिजली गिरी थी, जिसके कारण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा है। इसलिए मंदिर कार्यों को बंद कर दिया गया है। लेकिन अब मंदिर समिति ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।

मंदिर समिति ने किया खंडन

हालांकि मंदिर समिति ने बिजली महादेव मंदिर पर बिजली गिरने का खंडन किया है। वहीं मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। यहां के स्थानीय लोगों को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि मंदिर क्यों बंद किया गया है। बताया जा रहा है कि गुप्त कारज होने के कारण मंदिर को बंद किया गया है। इस अवधि में स्थानीय लोगों को भी मंदिर जाने की अनुमति नहीं होती है।

बिजली

बिजली गिरने की है मान्यता

माना जाता है कि देवता के आदेश पर ही मंदिर के गुप्त कार्य होते हैं। मंदिर कब तक बंद रहेगा, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है। इस मंदिर में सिर्फ पुजारी और पुरोहित रहते हैं। मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि हर 12 साल में बिजली महादेव मंदिर में आकाशीय बिजली गिरती है और मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। बिजली खंडित होने के बाद सत्तू और मक्खन आदि से शिवलिंग को जोड़ा जाता है। वहीं स्थानीय लोगों की मानें, तो यहां पर बिजली भगवान शिव के आशीर्वाद से गिरती है और इलाके में व्याप्त सभी बुराइयां दूर होती है। भोलेनाथ की आज्ञा से ही इंद्रदेव शिवलिंग का इस तरह अभिषेक करते हैं।

कथा

बिजली महादेव मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल में कुलांत नामक राक्षस ने ब्यास नदी का प्रवाह रोकने के लिए कुल्लू घाटी को डुबाने की कोशिश की। कुलांत नामक राक्षस ने खतरनाक सांप का रूप धारण कर घाटी को तबाह करने की योजना बनाई थी। तब भगवान शिव ने राक्षस से कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई थी। जैसे ही कुलांत ने पीछे मुड़कर देखा तो भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। जिससे कुलांत राक्षस का शरीर विशाल पर्वत में बदल गया। जिसको आज के समय में कुल्लू की पहाड़ी माना जात है। महादेव ने इंद्रदेव से कहा कि इस स्थान पर हर 12 साल में बिजली गिराएं, जिससे कि क्षेत्र की रक्षा हो सके।

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