Rs 8433 crores was lost कैग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार की बसों का रुट 814 से घटकर 468 हो गया. जिससे सरकार को 2015 से 2022 तक करीब 14000 करोड़ का घाटा हुआ है. 3697 बसों में CCTV लगाने के प्रोजेक्ट पर सरकार ने 52 करोड़ खर्च किया. लेकिन ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. DTC घाटे में होने के बावजूद क्लस्टर बसों के ऑपरेटर से 225 करोड़ किराया वसूल नहीं किया गया.

नई दिल्ली:दिल्ली में सोमवार से बजट सत्र शुरू हो गया है और दिल्ली मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कामकाज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन में पेश की. रिपोर्ट के अनुसार डीटीसी को 8433 करोड़ का घाटा हुआ है. साथ ही DTC बसों की संख्या 4344 से घटकर 3937 हो गई है. इलेक्ट्रिक बसों की समय से डिलीवरी न होने के बावजूद ऑपरेटर पर 29 करोड़ की पेनाल्टी नहीं लगाई गई. नई बसों को ख़रीदने या फ्लाइट को बढ़ाने के लिए पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया गया.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार की बसों का रुट 814 से घटकर 468 हो गया. जिससे सरकार को 2015 से 2022 तक करीब 14000 करोड़ का घाटा हुआ है. 3697 बसों में CCTV लगाने के प्रोजेक्ट पर सरकार ने 52 करोड़ खर्च किया. लेकिन ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. DTC घाटे में होने के बावजूद क्लस्टर बसों के ऑपरेटर से 225 करोड़ किराया वसूल नहीं किया गया.
वित्तीय संकट के कारण
DTC के घाटे के पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रशासनिक लापरवाही, वित्तीय कुप्रबंधन, और अनुबंधों के पालन में लापरवाही शामिल हैं।
1. नई बसों की खरीद में देरी
- बसों की संख्या घटने का मुख्य कारण नई बसों की खरीद न होना है।
- बसों के बेड़े का विस्तार किए बिना सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत नहीं किया जा सकता।
2. अनुबंधों का सही क्रियान्वयन न होना
- इलेक्ट्रिक बसों की देरी से डिलीवरी पर पेनाल्टी नहीं लगाना दिखाता है कि अनुबंधों का पालन ठीक से नहीं किया जा रहा।
- निजी ऑपरेटरों से 225 करोड़ रुपये का किराया न वसूलना भी प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाता है।
3. राजस्व स्रोतों की कमी
- DTC का मुख्य आय स्रोत टिकटों की बिक्री और सरकारी अनुदान है।
- विज्ञापन, किराए और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के जरिए आय बढ़ाने की कोई ठोस रणनीति नहीं अपनाई गई।
4. अनुचित व्यय और परियोजनाओं की विफलता
- सीसीटीवी लगाने की योजना पर 52 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ।
- इससे धन की बर्बादी और प्रशासनिक अक्षमता उजागर होती है।
संभावित समाधान
DTC की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कुछ ठोस उपाय अपनाने की जरूरत है।
1. नई बसों की खरीद और सार्वजनिक परिवहन का विस्तार
- DTC को जल्द से जल्द नई बसें खरीदनी चाहिए।
- इलेक्ट्रिक बसों को तेजी से लागू करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई जानी चाहिए।
2. अनुबंधों का सख्ती से पालन
- ऑपरेटरों पर अनुबंधों के अनुसार पेनाल्टी लगाई जाए।
- क्लस्टर बसों से लंबित किराया वसूला जाए।
3. राजस्व बढ़ाने के उपाय
- बस स्टेशनों और बसों में विज्ञापन के जरिए अतिरिक्त आय उत्पन्न की जाए।
- दिल्ली सरकार को DTC को सब्सिडी देने के अलावा इसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनानी चाहिए।
4. तकनीकी और प्रशासनिक सुधार
- डीटीसी प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए डिजिटलीकरण किया जाए।
- सीसीटीवी परियोजना को पुनः शुरू कर बसों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए।
5. यात्रियों की सुविधा में सुधार
- रूटों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि यात्रियों को अधिक विकल्प मिलें।
- बसों की टाइमिंग और फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जाए ताकि यात्री निजी वाहनों पर निर्भर न रहें।
निष्कर्ष
DTC की वित्तीय स्थिति चिंताजनक है, लेकिन सही नीतियों और प्रबंधन के जरिए इसे सुधारा जा सकता है। यदि सरकार और प्रशासन प्रभावी कदम उठाते हैं, तो दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सकता है। DTC को आत्मनिर्भर और कुशल बनाने के लिए न केवल नई योजनाओं की जरूरत है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही भी आवश्यक है।