Temple Without Idol: दिल्ली का लोटस टेंपल

By digital@vaartha.com | Updated: April 24, 2025 • 3:51 PM

हिन्दुस्तान विविध धार्मिक स्थानों का देश है, जहां देवालय में देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा होती है। लेकिन दिल्ली का लोटस टेंपल एक ऐसा स्थान है, जहां एक भी भगवान की प्रतिमा नहीं है, फिर भी यह हर साल लाखों भक्तओं और यात्री को अपनी ओर मोहित करता है।

लोटस टेंपल: सभी धर्मों के लिए खुला दरवाज़ा

लोटस टेंपल की खासियत यह है कि यह किसी एक धर्म से संबंधित नहीं है। यह बहाई धर्म से संबंधित हुआ है, जिसकी मूल विचारधारा है – “एकता में ही ईश्वर का वास है”। यही कारण है कि यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित सभी धर्मों के लोग आकर ध्यान करते हैं।

यहां कोई पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते, बल्कि विभिन्न धर्मों के ग्रंथों का पाठ किया जाता है, जो इसे एक धर्मनिष्ठ समरसता का प्रतीक बनाता है।

अद्भुत वास्तुकला की मिसाल

लोटस टेंपल का डिजाइन एक खिले हुए कमल के फूल की तरह है। इसमें 27 सफेद संगमरमर की पंखुड़ियाँ हैं, जो तीन-तीन के समूहों में विभाजित हैं और देवालय को एक आकर्षक कमल जैसा आकार देती हैं।

इसका निर्माण ईरानी आर्किटेक्ट फरिबर्ज़ सहबा द्वारा किया गया था और यह 1986 में आम जनता के लिए खोला गया।

शांति और ध्यान का केंद्र

यह स्थान न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि शांति, ध्यान और आत्म-निरीक्षण के लिए भी उदाहरण है। यहां कोई भी व्यक्ति आकर चुपचाप बैठ सकता है और ध्यान कर सकता है।

अन्य पढ़ें: Kheer Bhavani Temple कश्मीर का रहस्यमयी और चमत्कारी तीर्थ
अन्य पढ़ें: Tanot Mata Temple भारत-पाक युद्ध का चमत्कारी गवाह

# Paper Hindi News #ArchitecturalWonder #BahaiTemple #DelhiTourism #Google News in Hindi #Hindi News Paper #LotusTemple #NoIdolTemple #PeacefulPlace #SpiritualIndia #TravelIndia #UniqueTemple