Terrorist Attack: जम्मू में हर बड़े आतंकी हमले में अमेरिकी असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल

जम्मू

अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के बाद छोड़े गए एम4 असॉल्ट राइफल्स पाकिस्तान के जरिए आतंकियों तक पहुंचाए जा रहे हैं

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जम्मू-कश्मीरआतंकियों द्वारा अमेरिकी एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल एक बड़ी चुनौती बन गया है। खासकर जम्मू संभाग में बीते कुछ वर्षों के दौरान हुए तमाम बड़े आतंकी हमलों और मुठभेड़ों में आतंकियों ने एम4 का इस्तेमाल किया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद उनके बचे हुए हथियार पाकिस्तान के जरिए आतंकियों तक पहुंचाए जा रहे हैं।एम4 कार्बाइन एक हल्की, गैस संचालित, एयर-कूल्ड, मैगजीन से चलने वाली और कंधे से फायर की जाने वाली राइफल है, जो 1980 से इस्तेमाल हो रही है। एम4 कई वैरिएंट में उपलब्ध है।

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ऐसा दावा है कि इस राइफल में प्रति मिनट 700-970 राउंड फायर किए जा सकते हैं। इसकी प्रभावी फायरिंग रेंज 500-600 मीटर है। 80 के दशक में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) इसका इस्तेमाल करता था। रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा इन असॉल्ट राइफलों का लगातार इस्तेमाल 2021 में अफगानिस्तान से बाहर निकलते समय अमेरिकी सेना द्वारा हथियार और गोला-बारूद छोड़ने का परिणाम है। अफगानिस्तान से अमेरिकियों की वापसी के बाद उन्होंने हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा भंडार छोड़ दिया था, जो पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की मदद से आतंकियों तक पहुंच रहे हैं।

सबसे पहले मसूद के भतीजे से मिली थी एम4 जम्मू-कश्मीर में एम4 कार्बाइन राइफल की पहली बरामदगी 7 नवंबर 2017 को हुई थी, जब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का भतीजा तल्हा रशीद मसूद पुलवामा जिले में मुठभेड़ में मारा गया था। 2018 में यह हथियार दूसरी बार कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किया गया था, जब अजहर का एक और भतीजा उस्मान इब्राहिम मारा गया था।

इसके बाद 11 जुलाई 2022 को पुलवामा जिले के अवंतीपोरा इलाके में एक मुठभेड़ स्थल से एम4 कार्बाइन बरामद की गई, जहां जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर कैसर कोका और एक अन्य आतंकवादी को मार गिराया गया था।

जम्मू संभाग में सबसे पहले पुंछ में इस्तेमाल

दिसंबर 2023 में पुंछ में आतंकियों ने भारतीय सेना को निशाना बनाकर हमला किया था। इस हमले में 4 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ही ग्रुप पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली। हमले के बाद सोशल मीडिया पर एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल के वीडियो और तस्वीरें दिखाई गईं। 

कब-कब हुआ जम्मू में इस्तेमाल 
27 मार्च 2025
: कठुआ के अंब क्षेत्र में 
8 जुलाई 2024: कठुआ सैन्य काफिले पर 
9 जून 2024: रियासी शिवखोड़ी से कटड़ा जा रही बस पर 
26 जून 2024: डोडा जिले में मुठभेड़ के दौरान मारे गए आतंकियों से एम4 बरामद 

चुनौती बढ़ी, लेकिन निपट लेंगेपूर्व डीजीपी एस.पी. वैद ने कहा, “मेरे कार्यकाल (दिसंबर 2016 से सितंबर 2018) के दौरान आतंकियों ने एम4 कार्बाइन राइफलों का लगातार इस्तेमाल नहीं किया था। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में हथियार छोड़ने के बाद कश्मीर में इनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर देखा गया है। अब जम्मू संभाग में भी देखा जा रहा है। एम4 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से हताहत होने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन उम्मीद है कि सुरक्षा बल इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटेंगे। मुझे लगता है कि इससे बुलेटप्रूफ वाहनों में बैठे लोग भी असुरक्षित हो जाते हैं। यही खतरा है।

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