विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा में विपक्षी दलों ने सुरंग (टनल) परियोजना को लेकर सरकार पर 3000 करोड़ (3000 crore) रुपये के घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि इस परियोजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया है।
महाराष्ट्र Maharashtra में चल रहे विधानसभा और विधान परिषद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार पर ठाणे सुरंग परियोजना में 3,000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप लगाया है। साथ ही, सोयाबीन किसानों को भुगतान न किए जाने पर सदन में हंगामा किया है।
Maharashtra विधानसभा और विधान परिषद का मानसून सत्र सोमवार से चल रहा है। इस दौरान सदन में विपक्षी पार्टियां सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रही हैं। साथ ही, विपक्षी सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी और विरोध करने के लिए सदन से वॉकआउट करते हुए नजर आएं।
सुरंग परियोजना में 3000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप
विपक्ष ने ठाणे सुरंग परियोजना को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। विपक्षी विधायकों ने बुधवार को महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने इस परियोजना में 3,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया और एक निजी कंपनी को अनुचित लाभ देने का दावा किया।
विपक्ष ने की नारेबाजी
मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने मई में इस सुरंग परियोजना की निविदा प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। जब अयोग्य ठहराई गई कंपनी एलएंडटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महा विकास अघाड़ी के विधायक और विधान परिषद सदस्य विधान भवन की सीढ़ियों पर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के डर से अनुबंध रद्द करने का आरोप लगाया।
विपक्षीय नेता अंबादास दानवे (शिवसेना उद्धव गुट), कांग्रेस के सत्यजीत पाटिल और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जयंत पाटिल इस प्रदर्शन में शामिल हुए। दानवे ने कहा कि इस परियोजना के बारे में गंभीर चिंताएं जताए जाने के बावजूद सरकार इस पर जोर देती रही। यह केवल तकनीकी चूक नहीं है। बल्कि 3,000 करोड़ रुपये का घोटाला है, जिसे महाराष्ट्र की जनता नजरअंदाज नहीं कर सकती।
मेघा कंपनी से चुनाव में सरकार को मिली थी फंडिंग- पाटिल
कांग्रेस नेता सत्यजीत पाटिल ने आरोप लगाया कि ठेका जीतने वाली कंपनी चुनावी बांड की प्रमुख दाता रही है। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग नहीं है। सरकार उसी कंपनी को फायदा पहुँचा रही है, जिससे उसे फंडिंग मिली। इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बुनियादी सवाल उठते हैं। पाटिल ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी को दिए गए सभी ठेकों की तत्काल समीक्षा की मांग की। विपक्ष का आरोप है कि यह कंपनी राज्य सरकार की पसंदीदा ठेकेदार बन गई है।