बाघ लगभग एक हफ़्ते तक कासिपेट मंडल के वन क्षेत्र में रहा
मंचेरियल। जिले के जंगलों में घूमकर एक बछड़े को मारने वाला बाघ (tiger) रविवार को पड़ोसी कुमराम भीम आसिफाबाद (Kumram Bheem Asifabad) जिले के जंगलों में वापस चला गया, जिससे इस क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों को राहत मिली है। बाघ की गतिविधियों पर नज़र रख रहे वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ लगभग एक हफ़्ते तक कासिपेट मंडल के वन क्षेत्र में रहा। वह अपने मारे गए बछड़े का बचा हुआ मांस खाने वापस नहीं आया। देवापुर, बेल्लमपल्ली और तिरयानी पर्वतमालाओं में टाइगर पर नज़र रखने के लिए विशेष टीमें तैनात की गईं। उन्होंने अनुमान लगाया कि वह कुमराम भीम आसिफाबाद ज़िले के तिरयानी के जंगलों में वापस आ गया होगा।
तिरयानी और कासिपेट मंडल की सीमाओं पर घूम रहा था बाघ
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि महाराष्ट्र के वन क्षेत्रों से आया एक नर अधेड़ टाइगर कुमराम भीम आसिफाबाद जिले के तिरयानी और कासिपेट मंडल की सीमाओं पर घूम रहा था। हो सकता है कि वह 8 जुलाई को मंचेरियल के जंगलों की ओर चला गया हो और बछड़े को मार डाला हो, जिससे किसानों और ग्रामीणों में दहशत फैल गई हो। वेंकटपुर में मवेशियों को मारने वाली जगह पर टाइगर के पैरों के निशान पाए गए हैं। हालांकि, किसानों और ग्रामीणों को सतर्क रहने, समूहों में घूमने और मवेशियों को जंगल में बहुत अंदर न भेजने की सलाह दी गई है।
बाघ के किसी भी रूप या संकेत की सूचना देने का आग्रह
वन कर्मचारियों ने निवासियों से टाइगर के किसी भी रूप या संकेत की सूचना देने का आग्रह किया है और कहा है कि स्थानीय लोगों को सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। 6 जुलाई को, कथित तौर पर एक बाघ ने तिरयानी मंडल के एडुलापहाड़ गाँव के जंगलों में मवेशियों के एक झुंड पर हमला करने की कोशिश की, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। यह टाइगर कुछ हफ़्ते पहले महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व से इलाके और शिकार की तलाश में तेलंगाना में घुस आया था।
आसिफाबाद का इतिहास क्या है?
कुमुराम भीम आसिफाबाद जिला पूर्व में आदिलाबाद जिले का हिस्सा था। यह सतवाहन, काकतीय, चालुक्य, गोंड, निज़ाम और आसफ़ जाही राजाओं की सत्ता में रहा। 1905 में जिला बना, 1941 में फिर मिला, और 2016 में फिर पुनः स्थापित हुआ।
आसिफाबाद जिले में कितने मंडल हैं?
कुमुराम भीम आसिफाबाद जिले में कुल 15 मंडल हैं जैसे आसिफाबाद, केरामेरी, रिप्पेना, तिरयानी, वंकीदी, जैनूर आदि, जो दो राजस्व डिविजनों—आसिफाबाद और कागज़नगर—के अंतर्गत आते हैं।
आसिफाबाद के पूर्व विधायक कौन हैं?
2018–23 में आसिफाबाद के विधायक अत्रम सक्कू (कांग्रेस) थे, जिन्होंने 2018 में कोवा लक्ष्मी को हराया। उससे पहले 2014 में कोवा लक्ष्मी (TRS) इस सीट पर चुनी गई थी।
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