भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) के लिए 29 मई, 2025 को अद्यतन दीर्घकालिक पूर्वानुमान जारी किया, जिसमें देश में सामान्य से अधिक वर्षा (106% दीर्घकालिक औसत, LPA) की संभावना जताई गई है, जिसमें ±4% मॉडल त्रुटि है। LPA 87 सेमी (1971-2020 के औसत) पर आधारित है। यह दूसरा वर्ष है जब IMD ने लगातार अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है, जो कृषि और जल संसाधनों के लिए शुभ संकेत है।
क्षेत्रीय वर्षा का पूर्वानुमान
IMD के अनुसार, मध्य भारत (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल) और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत (केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश) में सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद है। पश्चिमी घाट, विशेषकर केरल और तटीय कर्नाटक, में भारी वर्षा की संभावना है। हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत (पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख), पूर्वोत्तर भारत (अरुणाचल प्रदेश, मेघालय) और दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों (तमिलनाडु) में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
मौसम की स्थिति और प्रभाव
मानसून की शुरुआत केरल में 24 मई को हुई, जो सामान्य तारीख (1 जून) से पहले थी, और मुंबई में 26 मई को, जो 75 वर्षों में सबसे जल्दी है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी युक्त हवाओं ने मानसून को तेजी दी। दिल्ली-एनसीआर में 30-31 मई के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी है, जिसमें मध्यम बारिश और तेज हवाएं (30-60 किमी/घंटा) संभावित हैं। पूर्वोत्तर राज्यों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में 30 मई तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी है।
कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अधिक बारिश का पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक है, क्योंकि भारत की 52% खेती मानसून पर निर्भर है। मध्य भारत के वर्षा-आधारित क्षेत्रों (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश) में धान, गन्ना और दलहन की पैदावार बढ़ सकती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का असमान वितरण, बाढ़ और भूस्खलन का जोखिम बना रहता है, जैसा कि 2024 में केरल के वायनाड में देखा गया।
चुनौतियां और सावधानियां
IMD ने चेतावनी दी है कि भारी बारिश से जलभराव, बिजली कटौती और यातायात बाधाएं हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन को बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की सलाह दी गई है। कम बर्फबारी (यूरेशिया और हिमालय) और न्यूट्रल एल नीनो/लॉस नीनोस (ENSO) और इंडियन ओशन डायपोल (IOD) की स्थिति 2025 में अच्छे मानसून का समर्थन करती है।
कुल मिलाकर, 2025 का मानसून भारत के अधिकांश हिस्सों में राहत लाएगा, लेकिन असमान वितरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए सतर्कता जरूरी है।