जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के किश्तवाड़ जिले के पड्डर सब-डिवीजन में 14 अगस्त 2025 को चिशोती गांव के पास मचैल माता मंदिर के रास्ते पर बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा के कारण 12 से 15 लोगों की मौत की आशंका है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। बादल फटने से अचानक बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए, जिससे मचैल माता यात्रा मार्ग पर लंगर शेड बह गया और आसपास के इलाके में भारी नुकसान हुआ।
घटना का विवरण –
यह हादसा किश्तवाड़ के पड्डर सब-डिवीजन के चिशोती गांव में मचैल माता मंदिर के रास्ते पर हुआ। बादल फटने की घटना 14 अगस्त 2025 को सुबह हुई, जब क्षेत्र में भारी बारिश हो रही थी। बादल फटने से हंजर नदी में अचानक उफान आ गया, जिसने कई घरों, वाहनों और मचैल माता यात्रा के लिए लगाए गए लंगर शेड को बहा दिया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, 12 से 15 लोगों की मौत की आशंका है, और 17 लोग घायल बताए जा रहे हैं। कुछ लोग लापता भी हैं, जिनकी तलाश जारी है।
घटना की सूचना मिलते ही सिविल प्रशासन, पुलिस, सेना, NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं। बचाव और राहत कार्य तेजी से शुरू किए गए हैं। किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर ने 12-15 मौतों की पुष्टि की है, और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
मचैल माता यात्रा पर असर
यह घटना मचैल माता यात्रा के दौरान हुई, जो किश्तवाड़ के पड्डर में एक प्रमुख तीर्थस्थल है। इस यात्रा में हर साल हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। बादल फटने से यात्रा मार्ग पर भारी तबाही हुई, और कई श्रद्धालु प्रभावित हुए। लंगर शेड के बहने से यात्रियों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था भी प्रभावित हुई है।
उपराज्यपाल का बयान:
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने X पर पोस्ट कर इस घटना पर दुख जताया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए। –
केंद्रीय मंत्री का बयान:
केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें स्थानीय विधायक सुनील कुमार शर्मा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता से इस आपदा की जानकारी मिली। उन्होंने राहत कार्यों के लिए तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया।
यह घटना एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर सवाल उठाती है। किश्तवाड़ और रामबन जैसे इलाकों में पहले भी बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं हो चुकी हैं। अप्रैल 2025 में रामबन में बादल फटने से तीन लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और भारी बारिश के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, और इनसे निपटने के लिए बेहतर आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
बचाव टीमें मलबे में फंसे लोगों को निकालने और लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। भारी बारिश और खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
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