गर्मी के मौसम में मिट्टी का मटका पानी को प्राकृतिक रूप से ठंडा करने के लिए प्रतिरूप माना जाता है। लेकिन कई बार नया मटका पानी को ठंडा नहीं कर पाता। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है जिसे बूझना आवश्यक है।
वाष्पीकरण से कैसे ठंडा होता है पानी?
मिट्टी के मटकों की दीवारों में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जिनसे पानी धीमी गति से बाहर निकलता है और वाष्पीकृत हो जाता है। यह वाष्पीकरण प्रक्रिया मटके के भीतर मौजूद पानी की ऊष्मा को बाहर निकालती है, जिससे पानी ठंडा हो जाता है।
नया मटका क्यों नहीं करता प्रभाव?
नया मटका जब बनकर आता है, तो उसकी मिट्टी में नमी होती है और उसके छिद्र पूरी तरह सक्रिय नहीं होते। ऐसे मटके में पानी डालते ही वाष्पीभवन की प्रक्रिया धीमी होती है और पानी ठंडा नहीं हो पाता। इसके लिए मटके को “सीज़न” करना आवश्यक होता है।

मटका को ठंडा करने लायक कैसे बनाएं?
1. मटका लाने के बाद कुछ दिन पानी में भिगोएं
मिट्टी के घड़े को दो दिन्थाक पानी में भिगोकर रखें। इससे घड़ा पूरी तरह से शुष्क उद्यत हो जाता है और उसकी मिट्टी सक्रिय हो जाती है।
2. पहले 2-3 बार पानी बदलें
घड़े में आरंभ के दो–तीन बार डाले गए पानी को पीने से बचें। ये पानी ठंडा नहीं होगा, लेकिन यह प्रक्रिया मटके को “अवधि” करने में सहायक होगी।
3. छांव में रखें
मटका को हमेशा छांव में रखें। तेज धूप से मटके की सतह फट सकती है और उसकी ठंडक क्षमता कम हो जाती है।
4. गीला कपड़ा लपेटें
घड़े के बाहरी हिस्से पर एक गीला वस्त्र लपेटने से वाष्पीकरण तेज होता है और पानी तुरंत ठंडा होता है।