पद यात्रा को लेकर भी गरमाई थी राजनीति
हैदराबाद। कांग्रेस लंबे समय से पदयात्राओं का पर्याय रही है, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) से लेकर उससे भी पहले दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की तत्कालीन आंध्र प्रदेश में ऐतिहासिक पदयात्रा तक। हालांकि, राज्य के नेताओं द्वारा की गई सभी पदयात्राओं का कुछ इतिहास रहा है, जैसे कि 2003 में जब वाईएसआर पदयात्रा पर निकलना चाहते थे तो पार्टी हाईकमान ने उन्हें छह महीने तक इंतजार करवाया था। उनके निधन के बाद, उनके बेटे वाईएस जगनमोहन रेड्डी को भी ‘ओडारपु यात्रा’ शुरू करने से पहले लंबे समय तक इंतजार करवाया गया था। 2023 में, जब तत्कालीन टीपीसीसी अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी एक पदयात्रा शुरू करना चाहते थे, तो पार्टी आलाकमान ने तत्कालीन सीएलपी नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क को राज्य के दूसरी ओर से पदयात्रा निकालने का निर्देश दिया।
तो तन गई हैं लोगों की भौहें
इन सबके अलग-अलग राजनीतिक मायने थे और अब जब पार्टी हाईकमान ने अचानक एआईसीसी तेलंगाना प्रभारी मीनाक्षी नटराजन को पदयात्रा करने का निर्देश दिया है, तो लोगों की भौहें तन गई हैं। प्रथमदृष्टया, हालांकि कई लोग इसे स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाला कदम मानते हैं, वहीं अन्य लोगों का मानना है कि यह मुख्यमंत्री के रूप में ए रेवंत रेड्डी के कामकाज के बारे में क्षेत्रीय स्तर पर नेताओं से वास्तविक प्रतिक्रिया प्राप्त करने का कदम है। कुछ हफ़्ते पहले, मुख्यमंत्री ने स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की सफलता सुनिश्चित करने का ज़िम्मा ज़िला प्रभारी मंत्रियों को सौंपा था। हालाँकि, कुछ ही दिनों बाद, मुख्यमंत्री ने ख़ुद यह ज़िम्मेदारी संभाल ली।

तो राहुल गांधी को नियुक्त करना पड़ा नया प्रभारी
इस कदम से पार्टी हाईकमान में चिंता उत्पन्न हो गई, तथा यह संदेह व्यक्त किया जाने लगा कि क्या मुख्यमंत्री का स्वयं स्थानीय निकाय चुनाव प्रचार में अग्रणी रहना पार्टी की हार का कारण बनेगा। पार्टी में यह भी आरोप थे कि रेवंत रेड्डी पार्टी प्रभारियों को प्रभावित करने में माहिर थे और यह सुनिश्चित करते थे कि पार्टी हाईकमान को राज्य इकाई की स्थिति की वास्तविक जानकारी न मिले। कहा जाता है कि इसी वजह से राहुल गांधी को अपनी करीबी सहयोगी मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का नया प्रभारी नियुक्त करना पड़ा और जैसा कि देखा गया है, वह पहले दिन से ही रेवंत रेड्डी की योजनाओं पर ब्रेक लगा रही हैं।
कांग्रेस की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
ब्रिटिश राज के दौरान भारतीयों की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने और उनके हितों की रक्षा हेतु 1885 में ए.ओ. ह्यूम के प्रयास से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी। प्रारंभ में यह संस्था ब्रिटिश सरकार से संवाद और सुधार की मांगों के लिए बनी, जो बाद में स्वतंत्रता संग्राम की अगुआ बनी।
कांग्रेस के दूसरे मुस्लिम अध्यक्ष कौन थे?
बदरुद्दीन तैयबजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीसरे अध्यक्ष थे, लेकिन वे कांग्रेस के दूसरे मुस्लिम अध्यक्ष माने जाते हैं। उनका कार्यकाल 1887 में मद्रास अधिवेशन में हुआ था। उन्होंने धार्मिक एकता और भारतीय एकजुटता की वकालत की थी, जो पार्टी की शुरुआत में ही स्पष्ट थी।
कांग्रेस ने देश को क्या दिया था?
स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करने वाली पार्टी के रूप में कांग्रेस ने महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल जैसे नेता दिए। स्वतंत्रता दिलाने के बाद देश को संविधान, लोकतंत्र, योजना आयोग, हरित क्रांति और औद्योगिकीकरण जैसी नीतियां देकर देश के विकास की बुनियाद रखी।
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