आंध्र प्रदेश खनिज संसाधनों से समृद्ध राज्य है। यहां चूना पत्थर, मैंगनीज, बॉक्साइट और सोने जैसे मूल्यवान खनिज मौजूद हैं। सरकार अब इन संसाधनों का उपयोग कर राज्य में खनन आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना पर गंभीरता से काम कर रही है।
विजयवाड़ा में केंद्रीय खानों और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें खनिजों के प्रयोजन, नीलामी प्रक्रिया और उनके निष्कर्षण से संबंधित प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई।
रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास की संभावना
राज्य सरकार का मानना है कि यदि खनिज संसाधनों का सही प्रयोजन किया जाए तो इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अनेक समय सृजित किए जा सकते हैं। खनन उद्योग केवल खनिजों का निष्कर्षण ही नहीं करेगा, बल्कि उससे जुड़े प्रसंस्करण और सहायक उद्योगों की स्थापना भी होगी।
राज्य के मंत्री कोल्लू रवींद्र ने कहा कि खनिजों का सही दिशा में उपयोग राज्य की अर्थव्यवस्था को नया रूप देगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय खानों विभाग और राज्य सरकार मिलकर एक “रेडी-मेड इंडेक्स” उद्यत कर रही है, जिससे खनिज की स्थिति और उपलब्धता का आकलन करना सरल होगा।

निजी एजेंसियों को मिलेगा अवसर
राज्य सरकार ने निजी एजेंसियों को भी खनिज अन्वेषण के लिए आमंत्रित किया है। इससे राज्य में नई संभावनाओं की खोज की जा सकेगी। केंद्रीय एजेंसियों जैसे GSI (Geological Survey of India), IBM (Indian Bureau of Mines) और MECL (Mineral Exploration Corporation Limited) ने इस कदम की सराहना की है।
ऊर्जा परियोजनाओं को भी मिलेगा बढ़ावा
मुख्य सचिव सीएस विजयनंद ने जानकारी दी कि ऊपरी सीलर प्रदेश में 1,350 मेगावाट की पंप स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट की योजना भी बनाई जा रही है। यह परियोजना राज्य को ऊर्जा के प्रदेश में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी। इस संगोष्ठी में खानों के सचिव प्रवीण कुमार, MECL के निदेशक पंकज पांडे, GSI के निदेशक सत्यनारायण महापात्रो और IBM के कॉम्पट्रोलर ऑफ माइन्स शैलेंद्र कुमार ने भाग लिया और राज्य की खनिज नीति की सराहना की।