15 सितंबर 2025, नई दिल्ली – हाल के दिनों में देशभर में भड़कने वाले प्रदर्शनों के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने कमर कस ली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के निर्देश पर सरकार 1974 से अब तक के सभी प्रमुख जन आंदोलनों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है। इस रिपोर्ट में आंदोलनों के कारण, फंडिंग के स्रोत, पैटर्न और परिणामों का विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही, भविष्य के प्रदर्शनों को संभालने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। यह कदम सरकार की सतर्कता को दर्शाता है, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन आंदोलन सरकारें गिरा रहे हैं।
रिपोर्ट का उद्देश्य और दायरा
मोदी सरकार ने 1974 से शुरू होकर वर्तमान तक के सभी जन आंदोलनों का अध्ययन करने का फैसला किया है। इसकी कमान पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) को सौंपी गई है। BPR&D एक टीम गठित करेगी, जो राज्य पुलिस विभागों के साथ मिलकर पुरानी CID रिपोर्ट्स और केस फाइलों की समीक्षा करेगी। रिपोर्ट में न केवल आंदोलनों के कारणों पर फोकस होगा, बल्कि पर्दे के पीछे सक्रिय ‘छिपे हुए खिलाड़ियों’ की पहचान भी की जाएगी।
अमित शाह ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आंदोलनों को फंड करने वाले नेटवर्क और स्रोतों की गहन जांच हो। “आंदोलनों को फंड किए जाने वाले पहलुओं की जांच के भी निर्देश दिए हैं,” जैसा कि शाह ने कहा। यह अध्ययन भविष्य में सुनियोजित आंदोलनों को रोकने में मददगार साबित होगा।
अमित शाह के प्रमुख निर्देश
दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी कॉन्फ्रेंस 2025 के दौरान अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को जन आंदोलनों की समीक्षा कर SOP तैयार करने को कहा गया। प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- जन आंदोलनों का विश्लेषण: 1974 के जेपी आंदोलन से लेकर 2011 के अन्ना हजारे आंदोलन तक सभी घटनाओं का अध्ययन। इन आंदोलनों ने राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया था, जैसे यूपीए-2 का अंत।
- फंडिंग और छिपे खिलाड़ी: “आंदोलन में पर्दे के पीछे कौन लोग शामिल थे, इसका पता लगाने को कहा गया है।”
- SOP का निर्माण: भविष्य के प्रदर्शनों को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए मानक प्रक्रियाएं बनाएं। साथ ही, धार्मिक सभाओं पर स्टडी कर भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के उपाय।
- अन्य सुरक्षा उपाय: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को खालिस्तानी उग्रवाद के खिलाफ SOP बनाने के निर्देश।
शाह ने राज्य पुलिस के साथ समन्वय बढ़ाने पर भी जोर दिया ताकि अज्ञात आतंकी नेटवर्क की मंशाओं को समय रहते पहचाना जा सके।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और भारत की सीख
लेख में अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का जिक्र करते हुए बताया गया कि जन आंदोलन कितने विनाशकारी हो सकते हैं। बांग्लादेश में युवाओं के प्रदर्शन से शेख हसीना सरकार गिरी, जबकि नेपाल में जेन-जेड ने केपी शर्मा ओली को सत्ता से बाहर किया। भारत में भी ऐसे आंदोलन राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बने हैं। सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह ऐसी घटनाओं से सबक ले रही है और सतर्क हो गई है।
मोदी सरकार की सतर्कता
मोदी सरकार अब न केवल आंदोलनों के ऐतिहासिक विश्लेषण पर काम कर रही है, बल्कि भविष्य के खतरों से निपटने के लिए ठोस रणनीति बना रही है। यह रिपोर्ट तैयार होने के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को नई गाइडलाइंस मिलेंगी, जो प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण रखने में मदद करेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि फंडिंग जांच से विदेशी हाथों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।
क्या यह कदम देश में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करेगा? समय ही बताएगा, लेकिन मोदी सरकार की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है।