Technology: रोबोट भी देगा बच्चे को जन्म! चीन के वैज्ञानिकों की नई खोज

By Vinay | Updated: August 21, 2025 • 10:36 AM

चीन के वैज्ञानिक एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक (Technology) पर काम कर रहे हैं, जिसमें एक ह्यूमनॉइड रोबोट आर्टिफिशियल यूटरस (Human Robot Robotic Artificial Uterus) (कृत्रिम गर्भाशय) के जरिए मानव बच्चे को जन्म दे सकता है। गुआंगझोउ की काइवा टेक्नोलॉजी और नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर के वैज्ञानिक डॉ. झांग किफेंग के नेतृत्व में यह प्रोजेक्ट 2026 तक प्रोटोटाइप लॉन्च करने की दिशा में बढ़ रहा है। इस रोबोट की अनुमानित कीमत 100,000 युआन (लगभग 12.5 लाख रुपये) होगी

तकनीक का विवरण


आर्टिफिशियल यूटरस: यह रोबोट एक कृत्रिम गर्भाशय से लैस होगा, जिसमें भ्रूण को एमनियोटिक फ्लूइड (कृत्रिम गर्भाशयी द्रव) में पाला जाएगा। पोषक तत्व और ऑक्सीजन एक ट्यूब के जरिए भ्रूण तक पहुंचाए जाएंगे, जो नाभि नाल (umbilical cord) की तरह काम करेगी। यह तकनीक मानव गर्भाशय की प्राकृतिक प्रक्रिया को दोहराने के लिए डिज़ाइन की गई है।


पूरा गर्भकाल: यह रोबोट न केवल समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए इन्क्यूबेटर की तरह काम करेगा, बल्कि गर्भाधान से लेकर जन्म तक की पूरी प्रक्रिया को संभालेगा। यह 2017 में अमेरिका के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया में किए गए प्रयोगों से प्रेरित है, जहां एक “बायोबैग” में समय से पहले जन्मे मेमने को चार सप्ताह तक जीवित रखा गया था।


प्रोटोटाइप और लागत: डॉ. झांग के अनुसार, आर्टिफिशियल यूटरस तकनीक प्रयोगशाला में “परिपक्व अवस्था” में है और अब इसे रोबोट के पेट में एकीकृत किया जा रहा है। 2026 में लॉन्च होने वाला प्रोटोटाइप लगभग 14,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 12.5 लाख रुपये) में उपलब्ध होगा, जो अमेरिका में सरोगेसी (1-2 लाख डॉलर) की तुलना में काफी सस्ता है।


बांझपन का समाधान: चीन में बांझपन की दर 2007 में 11.9% से बढ़कर 2020 में 18% हो गई है। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए मददगार हो सकती है, जो गर्भधारण में असमर्थ हैं या जैविक गर्भावस्था से बचना चाहते हैं।


वैज्ञानिक अनुसंधान: यह तकनीक भ्रूण विकास और गर्भावस्था की प्रक्रिया को नियंत्रित परिस्थितियों में अध्ययन करने के लिए उपयोगी हो सकती है।


जनसंख्या संकट: चीन में घटती जन्म दर और बूढ़ी होती आबादी के संकट को देखते हुए यह तकनीक नए रास्ते खोल सकती है। डॉ. झांग का कहना है कि यह उन लोगों के लिए विकल्प होगा, जो शादी किए बिना बच्चे चाहते हैं, खासकर क्योंकि चीन में व्यावसायिक सरोगेसी अवैध है।

नैतिक और सामाजिक बहस

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे बांझपन से जूझ रहे दंपतियों के लिए आशा की किरण बताया। एक यूजर ने लिखा, “मैंने तीन बार कृत्रिम गर्भाधान कराया, लेकिन असफल रहा। अब मेरे पास बच्चा होने का मौका

चीन का यह प्रोजेक्ट प्रजनन विज्ञान और रोबोटिक्स में एक अभूतपूर्व कदम है, जो बांझपन के समाधान और जनसंख्या संकट से निपटने की संभावना लाता है। हालांकि, यह तकनीक नैतिक, कानूनी और सामाजिक सवालों को भी जन्म दे रही है। 2026 में प्रोटोटाइप के लॉन्च के साथ यह बहस और तेज होगी कि क्या यह तकनीक मानवता के लिए वरदान है या डायस्टोपियन भविष्य की शुरुआत।

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