Motivational Story: गुरु और शिष्यों का संघर्ष, सफलता और ज्ञान

गुरु

कहानी की शुरुआत: गुरुकुल का जीवन

एक समय की बात है, गुरु एक घने जंगल में एक प्रसिद्ध गुरु का आश्रम था। दूर-दूर से विद्यार्थी उनके पास शिक्षा ग्रहण करने आते थे। गुरुजी न केवल शास्त्रों में पारंगत थे, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की कला भी सिखाते थे।

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Motivational Story: एक आचार्य ने अपने गुरुकुल के छात्रों की शिक्षा पूरी कराने के बाद 3 चुने हुए शिष्यों से कहा,  “कल प्रात: मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी आखिरी परीक्षा लेने के बाद तुम्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा।” इसके बाद आचार्य ने कुटिया के मार्ग पर कुछ कांटे बिखेर दिए।

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शिष्य गुरुकुल से गुरुदेव की कुटिया

सवेरे तीनों शिष्य गुरुकुल से गुरुदेव की कुटिया की ओर चले। वे थोड़ी दूर ही चले थे कि उनके पैरों में कांटे चुभने लगे। पहला शिष्य पैरों में कांटे चुभने के बाद भी चलता रहा और गुरुदेव की कुटिया में पहुंचने के बाद कांटे निकालने लगा।

दूसरा शिष्य पहले शिष्य के पैरों में कांटे चुभते देखकर सतर्क हो गया और कांटों से बचते हुए कुटिया तक पहुंच गया। तीसरे शिष्य ने जैसे ही रास्ते में कांटे बिखरे देखे, उसने वृक्ष की एक नीचे झुकी हुई डाली तोड़ी तथा झाड़ू की तरह उसका उपयोग कर रास्ते से कांटे हटाते हुए कुटिया के द्वार पर खड़े आचार्य के चरण स्पर्श कर बैठ गया।

गुरुदेव कुटिया के द्वार पर खड़े तीनों शिष्यों का आचरण देख रहे थे। उन्होंने तीसरे शिष्य की पीठ थपथपाते हुए कहा, “वत्स, तुम आखिरी परीक्षा में सफल रहे। सच्चा ज्ञान वही है जो दूसरों के सामने आए संकट को दूर कर सके। शिष्य के रूप में तुम हमारे गुरुकुल का नाम ऊंचा करोगे।”

कथा सार:

 किसी की देखा-देखी आचरण करने मात्र से आप सफल नहीं हो सकते, उसके लिए उचित मेहनत व कोशिशें करनी आवश्यक हैं। अगर आप किसी भी कार्य में सफल होना चाहते हैं तो आपको हर संभव कोशिश और पूरी मेहनत करनी होगी। वो कहते हैं न संघर्ष करना ही सफलता ही कुंजी है। ऐसे में आपको अपने रास्ते में आने वाली हर परेशानी का डटकर मुकाबला भी करना होगा तभी आप जीवन में सफल हो सकते हैं। 

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