मध्य प्रदेश (MP) में पुलों के घटिया डिजाइन (Design)और अधूरी निर्माण प्रक्रियाओं को लेकर मचे बवाल के बीच अब राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है. लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पूरे प्रदेश के पुलों की व्यापक जांच के आदेश दिए हैं।
मध्य MP प्रदेश में पुलों के घटिया डिजाइन और अधूरी निर्माण प्रक्रियाओं को लेकर मचे बवाल के बीच अब राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है. लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पूरे प्रदेश के पुलों की व्यापक जांच के आदेश दिए हैं. हर जिले से रिपोर्ट मांगी गई है, और जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी गठित की जा रही है।
पुलों की जांच क्यों जरूरी हो गई है?
पुलों के डिजाइन में लापरवाही के ताजा उदाहरणों की बात करें तो, भोपाल का ऐशबाग ब्रिज जो 90 डिग्री के तीखे मोड़ वाला यह पुल सोशल मीडिया पर ट्रोल हो चुका है. एक्सीडेंटल जोन बनने की आशंका के चलते अब ये सवालों के घेरे में है. वहीं, इंदौर का Z आकार का ब्रिज, जिसमें दो-दो 90 डिग्री के मोड़ हैं. ट्रैफिक सेफ्टी को लेकर लोग गुस्से में हैं. भोपाल में सुभाष नगर फ्लाईओवर जो सर्पाकार डिजाइन में बिना डिवाइडर के बनाया गया है. अब हादसों के बाद ब्रिज पर ताबड़तोड़ सुधार किए जा रहे हैं, और स्पीड ब्रेकर लगाए जा रहे हैं।
पुराने और जर्जर पुलों की बढ़ती चिंता
100 से ज्यादा ब्रिज अंग्रेजों के समय के हैं जो अब कमजोर हो चुके हैं. नर्मदापुरम के सुखतवा का पुल पहले ही गिर चुका है. खंडवा का पुल, जिसे NHAI और MPRDC दोनों ने ही खतरनाक घोषित किया है, फिर भी उस पर भारी वाहन गुजर रहे हैं।
अधूरे और लापरवाह निर्माण कार्य की बात करें तो, नरसिंहपुर में 6 करोड़ का पुल 7 साल से अधूरा पड़ा है. कई जगहों पर निर्माण के बीच में ही ठेकेदारों ने काम रोक दिया या घटिया सामग्री का उपयोग किया।
राज्य में पुलों का अनुमानित आंकड़ा
1600 से ज्यादा कुल निर्माणाधीन/निर्मित पुल-पुलिया हैं. 100 ज्यादा अंग्रेजों के जमाने के पुराने पुल हैं. 9 से ज्यादा 17 जिलों में स्वीकृत नए पुल हैं, और 105 से ज्यादा नए ओवरब्रिज स्वीकृत हैं।
नेताओं ने क्या कहा?
इसपर कई नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं. पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने कहा, जहां भी डिजाइन में गलती है या निर्माण अधूरा है, वहां कार्रवाई की जाएगी. इंजीनियरों पर एक्शन शुरू हो चुका है. ऐशबाग ब्रिज मामले में 7 अफसरों पर गाज गिर चुकी हैं. तो वहीं, कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, MP में पुल नहीं, भ्रष्टाचार के स्मारक बन रहे हैं. सरकार को जब जनता ने घेरा, तब जाकर पुलों की जांच की याद आई है।
मध्य प्रदेश का दूसरा नाम क्या है?
भारत की आजादी के बाद, मध्य प्रांत और बरार का नाम बदलकर मध्य प्रदेश रखा गया और नागपुर इसकी राजधानी बनी, इस राज्य में वर्तमान मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से और आज के महाराष्ट्र का उत्तरपूर्वी हिस्सा शामिल था 1956 में, इन राज्यों को पुनर्गठित किया गया और इसके कुछ हिस्सों को विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्यों के साथ मिलाकर नया …
मध्य प्रदेश की मशहूर चीज़ क्या है?
भारत में स्थित मध्य प्रदेश को अक्सर ‘अतुल्य भारत का हृदय’ कहा जाता है। यह राज्य अपने ऐतिहासिक स्मारकों, आधुनिक सुविधाओं और विविध वनस्पतियों और जीवों के लिए अत्यधिक लोकप्रिय है। इनमें खजुराहो मंदिर की मूर्तियां, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का वन्यजीवन, सांची स्तूप की वास्तुकला आदि शामिल हैं।
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पुल कौन सा है?
शिवपुरी झांसी फोरलेन हाईवे पर शहर से 28 किमी दूर अमोला का पुल स्थित है। यह फोरलेन जयपुर कानपुर एनएच-27 पर बना है। सिंध नदी पर बना यह पुल मप्र के एनएच 27 हाईवे पर मध्य प्रदेश का सबसे लंबा पुल है।