रखाइन प्रांत में भड़की नई जंग
यंगून: म्यांमार(Myanmar) के रखाइन प्रांत में पाकिस्तान(Pakistan) समर्थित उग्रवादी संगठन अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने अराकान आर्मी पर घातक हमला कर दिया। यह हमला ताउंग प्यो लेट क्षेत्र में 10 अगस्त की रात को हुआ, जो लगभग 50 मिनट तक चला। हमले में अराकान आर्मी के पांच लड़ाकों की मौत हुई और 12 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हो गए।
आतंकियों का म्यांमार में प्रभाव
रिपोर्टों के अनुसार, एआरएसए को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा से समर्थन मिल रहा है। यह संगठन मुख्य रूप से म्यांमार(Myanmar) की रोहिंग्या(Rohingya) मुस्लिम आबादी के बीच सक्रिय है। माना जा रहा है कि इस हमले से म्यांमार के साथ-साथ भारत के सीमावर्ती इलाकों में भी खतरे की स्थिति बन सकती है।
हमले के बाद अराकान आर्मी के कई लड़ाके अपने कैंप छोड़कर भाग खड़े हुए। इससे स्पष्ट होता है कि एआरएसए न केवल हथियारबंद बल्कि रणनीतिक रूप से भी मजबूत होता जा रहा है। स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे गंभीर चुनौती बताया है।
अराकान आर्मी की पृष्ठभूमि
अराकान आर्मी का गठन वर्ष 2009 में हुआ था। इसका उद्देश्य रखाइन की बौद्ध आबादी के लिए अधिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना है। वर्तमान में यह संगठन 17 में से 15 कस्बों पर नियंत्रण रखता है। अराकान आर्मी पहले से ही म्यांमार सेना और एआरएसए समेत अन्य गुटों से संघर्ष में उलझी रही है।
इस समूह के चीन के साथ अच्छे संबंध बताए जाते हैं। जानकारों का मानना है कि इसी कारण अराकान आर्मी म्यांमार(Myanmar) की राजनीति में लगातार मजबूत स्थिति बनाए हुए है। हालिया हमले से इसके संघर्ष और बढ़ने की संभावना है।
पाकिस्तान की बढ़ती दखलअंदाजी

सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान लंबे समय से म्यांमार में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को भी अपना सहयोगी बनाया है। बांग्लादेश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे रोहिंग्याओं को एआरएसए में भर्ती करने के प्रयास लगातार हो रहे हैं।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा रोहिंग्या शिविरों में गुप्त कैंप भी आयोजित किए गए। वहां हथियार और जरूरी सामान देने के वादे किए गए थे। यह रणनीति म्यांमार(Myanmar) के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
एआरएसए ने म्यांमार में हमला कब किया?
यह हमला 10 अगस्त की रात लगभग 11 बजे हुआ था। यह ताउंग प्यो लेट क्षेत्र में करीब 50 मिनट तक चला और इसमें अराकान आर्मी को भारी नुकसान पहुंचा।
अराकान आर्मी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अराकान आर्मी का गठन 2009 में हुआ था। इसका मकसद रखाइन राज्य की बौद्ध आबादी के लिए अधिक स्वायत्तता और राजनीतिक प्रभाव सुनिश्चित करना है।
पाकिस्तान म्यांमार में क्यों दखल दे रहा है?
पाकिस्तान वहां अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। वह बांग्लादेश के कट्टरपंथियों और रोहिंग्या शरणार्थियों को एआरएसए से जोड़कर म्यांमार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
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