नई दिल्ली । पिछले दिनों खबर आई कि कॉलेजियम में जस्टिस बी वी नागरत्ना (Justice B V Nagratna) की कड़ी असहमति के बावजूद पटना हाईकोर्ट (High court) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपुल पंचोली को पदोन्नति दी गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एस ओका ने कहा है कि इस मामले में जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति के कारणों को उजागर किया जाना चाहिए। ये जानने का जनता को अधिकार है।
नागरत्ना की आपत्तियां – वरिष्ठता और क्षेत्रीय असंतुलन पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पंचोली की अपेक्षाकृत कम वरिष्ठता, जुलाई 2023 में गुजरात से पटना उच्च न्यायालय में उनके स्थानांतरण पर सवाल और उच्चतम न्यायालय में प्रतिनिधित्व में क्षेत्रीय असंतुलन की चिंताओं का हवाला देते हुए सिफारिश का विरोध किया था। अब जस्टिस पंचोली अगर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जज बनते हैं तो जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सेवानिवृत्ति के बाद अक्टूबर 2031 में वह देश के प्रधान न्यायाधीश बनने की दौड़ में शामिल हो जाएंगे।
कॉलेजियम की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर द्वारा संपादित पुस्तक के विमोचन के अवसर पर जस्टिस ओका ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि अगर कॉलेजियम में एक भी सहमति है तो उस पर गौर किया जाना चाहिए। जयसिंह ने पैनल से पूछा था कि जब उच्चतम न्यायालय की एकमात्र महिला न्यायाधीश ने असहमति जताई है तो भविष्य के प्रधान न्यायाधीशों के चयन में पारदर्शिता क्यों नहीं है।
असहमति का सार्वजनिक होना जरूरी : जस्टिस ओका
जस्टिस ओका ने कहा, “आप सही कह रही हैं कि एक जज ने असहमति जताई है। हमें यह जानना चाहिए कि वह असहमति क्या है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपको यह आलोचना करने का हक़ है कि वह असहमति सार्वजनिक क्यों नहीं हुई।”
पारदर्शिता बनाम गोपनीयता
इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि असहमति का खुलासा होना चाहिए, लेकिन कॉलेजियम की कार्यवाही में पारदर्शिता को पदोन्नति के लिए विचार किए जाने वाले वकीलों की गोपनीयता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर कॉलेजियम 10 या 15 वकीलों पर विचार करता है और पांच की सिफारिश नहीं की जाती, तो उन वकीलों की निजता की रक्षा करना भी जरूरी है क्योंकि उन्हें बाद में प्रैक्टिस में लौटना होता है।
जस्टिस नागरत्ना सीजेआई का कार्यकाल कितना है?
उन्होंने कर्नाटक में वाणिज्यिक और संवैधानिक कानून से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। वह 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। हालाँकि, उनका कार्यकाल केवल 36 दिनों का होगा।
बी.वी. नागरत्ना कौन हैं?
जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल होने वाली हैं, जिससे वह देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की कतार में आ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की 5वीं सीनियर जस्टिस बीवी नागरत्ना आज आधिकारिक रूप से कॉलेजियम का हिस्सा बनेंगी। जस्टिस अभय एस
Read More :