वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के रोवर ‘पर्सिवरेंस’ ने मंगल ग्रह पर एक रोमांचक खोज की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूखी नदी की धारा में मिली चट्टानों में अरबों साल पहले मौजूद सूक्ष्म जीवन के संकेत छिपे हो सकते हैं।
शुरुआती खोज, असली जांच धरती पर संभव
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह अभी शुरुआती खोज है। रोवर खुद सीधे जीवन का पता नहीं लगा सकता। उसके पास लगी ड्रिलिंग मशीन (Driling Machine) की मदद से वह चट्टानों और मिट्टी के छोटे-छोटे टुकड़े निकालकर सुरक्षित रखता है। इन नमूनों की सही और गहन जांच केवल धरती की प्रयोगशालाओं में ही हो पाएगी।
पुरानी नदी की धारा में मिली चट्टानें
रोवर को मंगल की एक प्राचीन सूखी नदी की धारा में ये चट्टानें मिली हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले यहां पानी बहता था। और जहां पानी होता है, वहां जीवन की संभावना भी रहती है। यही वजह है कि इस खोज ने वैज्ञानिकों की उम्मीदें और भी बढ़ा दी हैं।
मंगल पर जीवन की खोज का सफर
वैज्ञानिक लंबे समय से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मंगल पर कभी जीवन रहा था। सूखी नदियों और झीलों के अवशेष यह संकेत देते हैं कि ग्रह पर कभी पानी मौजूद था। पर्सिवरेंस द्वारा मिली चट्टानें इस संभावना को और मजबूत करती हैं कि उस समय वहां सूक्ष्म जीव पनपे होंगे।
धरती पर लाने की योजना अटकी
मूल योजना के अनुसार, रोवर द्वारा इकट्ठा किए गए नमूनों को भविष्य में धरती पर लाया जाना था। इसके लिए नासा ने एक महत्वाकांक्षी मंगल सैंपल रिटर्न मिशन (Mangal Sample Rerturn Mission) की रूपरेखा तैयार की थी। लेकिन फिलहाल यह मिशन अटका हुआ है।
नई रणनीति पर काम कर रहा नासा
खबरों के मुताबिक, नासा अब उन विकल्पों पर ध्यान दे रहा है जो तेज़ और कम खर्चीले हों। हालांकि अभी यह तय नहीं हो सका है कि पर्सिवरेंस द्वारा इकट्ठे किए गए नमूने धरती तक कब पहुंचेंगे।
खोज से बढ़ी वैज्ञानिकों की उम्मीदें
वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि यह खोज मंगल पर जीवन की गुत्थी सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, जब तक नमूनों को धरती पर लाकर अत्याधुनिक तकनीकों से जांच नहीं की जाती, तब तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।
NASA का मालिक कौन है?
नासा का कोई व्यक्तिगत मालिक नहीं है; यह संयुक्त राज्य सरकार की एक संघीय एजेंसी है। इसे अमेरिकी कांग्रेस द्वारा स्थापित किया गया था और यह करदाताओं के पैसे से संचालित होती है। 29 जुलाई, 1958 को राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर ने राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष अधिनियम पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बनाया था।
नासा में सैलरी कितनी होती है?
NASA में सैलरी पद, अनुभव और शिक्षा पर निर्भर करती है; एक एस्ट्रोनॉट की सालाना सैलरी लगभग 1.26 करोड़ रुपये (152,000 डॉलर) तक हो सकती है, जबकि एक एयरोस्पेस इंजीनियर को सालाना करीब 91 लाख रुपये (109,287 डॉलर) मिल सकते हैं।
Read More :