नई दिल्ली: देश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 जुलाई 2023 को संसद में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े पेश किए, जिनमें 2019 से 2021 के बीच 13 लाख 13 हज़ार 78 लड़कियां और महिलाएं लापता होने का खुलासा हुआ। इनमें 10 लाख 61 हज़ार 648 महिलाएं (18 वर्ष से अधिक) और 2 लाख 51 हज़ार 430 लड़कियां (18 वर्ष से कम) शामिल हैं। यह आंकड़ा संचयी है, और Factly के अनुसार, 2021 तक 2 लाख 3 हज़ार 893 महिलाएं और लड़कियां अभी भी अनट्रेस्ड हैं।
क्या है राज्यवार आंकड़ा
आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 1 लाख 60 हज़ार 180 महिलाएं और 38 हज़ार 234 लड़कियां लापता हुईं, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 1 लाख 56 हज़ार 905 महिलाएं और 36 हज़ार 606 लड़कियां। महाराष्ट्र में 1 लाख 78 हज़ार 400 महिलाएं और 13 हज़ार 33 लड़कियां गायब हुईं। दिल्ली में 61 हज़ार 54 महिलाएं और 22 हज़ार 919 लड़कियां लापता हैं। वर्ष-वार देखें तो 2019 में 82,084 लड़कियां और 3,42,168 महिलाएं, 2020 में 79,233 लड़कियां और 3,44,422 महिलाएं, और 2021 में 90,113 लड़कियां और 3,75,058 महिलाएं लापता हुईं। इनमें से कई को ट्रेस कर लिया गया, लेकिन लाखों परिवार अभी भी जवाब के इंतज़ार में हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, और सामाजिक दबाव इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं। The Hindu के अनुसार, कई मामले स्वेच्छा से घर छोड़ने से जुड़े हैं, लेकिन संगठित अपराध और तस्करी की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार ने 112 हेल्पलाइन, सेफ सिटी प्रोजेक्ट्स, और यौन अपराधी डेटाबेस जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर प्रभाव सीमित है। यह स्थिति समाज और प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग करती है|
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