Latest News : आगरा में 13 साल की बेटी 10 माह बाद घर लौटी

By Surekha Bhosle | Updated: November 17, 2025 • 12:16 PM

महाकुंभ में हुई थी साध्वी नियुक्ति

आगरा में एक 13 वर्षीय लड़की, जो महाकुंभ (Maha Kumbh) के दौरान साध्वी बनी थी, 10 माह बाद अपने परिवार के पास लौट आई। इस घटना ने न केवल परिवार बल्कि पूरे समुदाय को झकझोर दिया था।

उत्तर प्रदेश के आगरा की एक 13 वर्षीय लड़की (13-year-old girl) महाकुंभ 2024 में साध्वी बनने के अपने फैसले को लेकर चर्चा का केंद्र बन गई थी. आखिरकार कई दिनों की काउंसलिंग के बाद अपने परिवार के पास लौट आई है. उसकी वापसी से घर में खुशियों का माहौल है और माता-पिता ने राहत की सांस ली है.

ये लड़की महाकुंभ में अपने माता-पिता के साथ गई थी, लेकिन वहां उसने अचानक संन्यास लेकर साध्वी जीवन अपनाने का निर्णय कर लिया. इस फैसले से परिवार सदमे में आ गया, मगर लाख समझाने के बाद भी वह अपनी जिद और संकल्प पर अड़ गई

परिजन ने पुलिस से मांगी थी मदद

लड़की का झुकाव अध्यात्म की ओर इतना गहरा था कि वह परिवार के रोके जाने के बावजूद हरियाणा स्थित कौशल किशोर आश्रम पहुंच गई. वहां उसने साध्वी जीवन का अभ्यास शुरू कर दिया. नन्ही सी उम्र में घर, परिवार और पढ़ाई छोड़ देने के उसके फैसले ने माता-पिता को भीतर तक तोड़ दिया. बेटी को खो देने के दर्द में डूबे परिजनों ने आखिरकार पुलिस से मदद मांगी और बेटी को वापस लाने की गुहार लगाई.

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पुलिस एक्टिव हुई और आश्रम से बच्ची को सुरक्षित आगरा लाया गया. इसके बाद पुलिस और विशेषज्ञों की एक टीम ने उससे कई घंटों तक बातचीत की. काउंसलिंग के दौरान उसे समझाया गया. 13 वर्षीय लड़की के मन में धीरे-धीरे बदलाव आया और उसने परिवार के पास लौटने का निर्णय ले लिया. घर पहुंचते ही उसकी मां-पिता की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले. लड़की ने भी स्वीकार किया कि वह अब अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है और पढ़-लिखकर जीवन में कुछ अच्छा करना चाहती है.

आगरा की रहने वाली है लड़की

बताया जाता है कि 5 दिसंबर को आगरा के डौकी क्षेत्र की रहने वाली 13 साल की लड़की अपने माता-पिता के साथ महाकुंभ गई थी. वहीं उसके मन में साध्वी बनने का विचार आया. उसने ऐलान कर दिया कि वह संन्यास लेकर ईश्वर की आराधना करेगी और परिवार के साथ घर लौटने से इनकार कर दिया. इसके बाद परिवार ने जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को बेटी दान कर दी. गुरु की मौजूदगी में उसे गंगा स्नान कराया गया और विधि-विधान के साथ संन्यास दिलाया गया. महंत ने उसका नया नाम साध्वी गौरी रखा. इसी क्रम में पहला अमृत स्नान संपन्न हुआ और इसके बाद उसका पिंडदान करने की भी तैयारी शुरू कर दी गई. इसके लिए 19 जनवरी 2025 की तारीख तय की गई थी.

महामंडलेश्वर कौशल गिरि ने इस विशेष अनुष्ठान की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन इससे पहले पुलिस और काउंसलिंग टीम की मेहनत रंग लाई और लड़की ने संन्यास जीवन छोड़कर परिवार के साथ रहने का रास्ता चुना.

महाकुंभ की कथा क्या है?

किंवदंतियों के अनुसार, भगवान विष्णु अमृत का कुंभ (घड़ा) लेकर जा रहे थे, तभी एक झड़प हुई और अमृत की चार बूँदें छलक गईं। वे चार तीर्थों, प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन, में पृथ्वी पर गिरीं। तीर्थ वह स्थान होता है जहाँ भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

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