नई दिल्ली । अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि उनकी 13 वर्षीय बेटी नितारा ऑनलाइन गेम खेलते समय एक अजनबी के संपर्क में आई, जिसने उससे अश्लील तस्वीरें भेजने की मांग की। नितारा ने तत्काल अपनी मां को इसकी जानकारी दी, जिससे एक बड़ी घटना टल गई। यह मामला इस बात की गंभीर चेतावनी है कि साइबर अपराधी अब बच्चों तक गहराई से अपनी पहुंच बना चुके हैं।
एनसीआरबी रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 1,77,335 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.2 प्रतिशत अधिक हैं। खास बात यह है कि 2021 से 2022 के बीच बच्चों से जुड़े साइबर अपराधों में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे बच्चों की डिजिटल उपस्थिति बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनके सामने जोखिम भी तेजी से बढ़े हैं।
ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया बन रहे हथियार
साइबर अपराधी अब ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया चैट्स (Social Media Chats) के जरिये बच्चों को निशाना बना रहे हैं। वे पहले भरोसा जीतते हैं और फिर धीरे-धीरे निजी जानकारी जैसे फोटो, वीडियो या बैंक डिटेल्स हासिल करते हैं। इसके बाद ब्लैकमेलिंग या पैसों की मांग के जरिये बच्चों और उनके परिवारों को मानसिक तनाव में डाल देते हैं।
लखनऊ में दर्दनाक घटना : गेमिंग फ्रॉड में बच्चे की मौत
हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक दर्दनाक मामला सामने आया। एक छठी कक्षा के छात्र ने ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड में अपने पिता के बैंक अकाउंट से 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब परिवार को इसका पता चला, तो तनाव में आकर बच्चे ने आत्महत्या कर ली। यह घटना दिखाती है कि साइबर अपराध अब सीधे परिवारों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की सलाह : सतर्कता ही सुरक्षा
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर माता-पिता को सतर्क नजर रखनी चाहिए। बच्चों को इंटरनेट के फायदे और खतरे दोनों समझाने जरूरी हैं।
पैरेंटल कंट्रोल, समय सीमा और कंटेंट फिल्टरिंग जैसे फीचर्स का इस्तेमाल बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। अगर कोई बच्चा साइबर अपराध का शिकार हो जाए, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल या स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
साथ ही, स्क्रीनशॉट, चैट या लिंक जैसे सबूत सुरक्षित रखना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष : डिजिटल युग में जागरूकता ही ढाल
डिजिटल दुनिया जितनी उपयोगी है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है — खासकर तब जब बात बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा की हो। , संवाद और तकनीकी सुरक्षा उपाय ही इस खतरे से बचाव के सबसे बड़े हथियार हैं।
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