Delhi : हुमायूं के मकबरे का ‌एक हिस्सा ढहा, 11 लोग दबे, बचाव कार्य जारी

By Anuj Kumar | Updated: August 15, 2025 • 8:44 PM

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में शुक्रवार शाम को हुमायूं के मकबरे (Humayu Tomb) के पास स्थित एक दरगाह में छत का हिस्सा गिरने से 11 लोग मलबे में दब गए। दमकल विभाग और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। यह घटना शाम करीब 4:30 बजे, निजामुद्दीन इलाके में दरगाह शरीफ पट्टे (Dargah sharif lease) शाह के परिसर में हुई, जब एक कमरे की छत का हिस्सा अचानक गिर गया। घटना की जानकारी मिलते ही, दिल्ली फायर सर्विस की पांच गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के जवान भी बचाव कार्य के लिए मौके पर पहुंच गए।

बचाव दल ने 11 लोगों को पहुंचाया अस्पताल

बचाव दल ने तुरंत मलबा हटाने का काम शुरू किया और खोज अभियान चलाया। अथक प्रयासों के बाद, सभी 11 लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन इस दुर्घटना ने पुरानी इमारतों की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, हुमायूं के मकबरे को मकबरों का छात्रावास भी कहा जाता है, भारत में मुगल वास्तुकला (Mughal architecture) का एक अद्भुत और महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन पूर्व इलाके में स्थित है। इसका निर्माण हुमायूं की विधवा पत्नी महारानी हाजी बेगम ने 1569-70 ईस्वी में करवाया था। इस मकबरे को बनाने में लगभग 15 लाख रुपये का खर्च आया था।

डिजाइन मीरक मिर्जा गियाथ नाम के एक फारसी वास्तुकार ने तैयार किया था

इसका डिजाइन मीरक मिर्जा गियाथ नाम के एक फारसी वास्तुकार ने तैयार किया था। यह मकबरा भारतीय और फारसी वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है, जिसे लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनाया गया है। यह मकबरा चारबाग शैली के बगीचे के बीच में स्थित है, जो कि मुगल काल की एक खास विशेषता थी। यह चारबाग चार भागों में बंटा हुआ है, जिसमें पानी की नहरें और रास्ते बने हुए हैं, जो जन्नत (स्वर्ग) की कल्पना को दर्शाते हैं।

ताजमहल का अग्रदूत कहा जाता है हुमायूं का मकबरा

इस मकबरे को ताजमहल का अग्रदूत भी कहा जाता है, क्योंकि ताजमहल के निर्माण में भी इसी तरह की वास्तुशिल्प विशेषताओं का इस्तेमाल किया गया था, जैसे कि गुंबद, मेहराब और चारबाग शैली। 1993 में, यूनेस्को ने हुमायूं के मकबरे को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, जो इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।

इस परिसर में हुमायूं के मकबरे के अलावा कई अन्य छोटे मकबरे भी हैं, जिनमें ईसा खान का मकबरा और नाई का मकबरा शामिल हैं। यह मकबरा मुगल वंश के कई शासकों और उनके परिवार के सदस्यों का अंतिम विश्राम स्थल है। हुमायूं का मकबरा सिर्फ एक स्मारक नहीं है, बल्कि यह भारत के समृद्ध इतिहास और वास्तुकला की एक जीती-जागती कहानी है


हुमायूं के मकबरे में कौन रहता था?

इस कब्र को हुमायूँ की पहली पत्नी और मुख्य संरक्षक, एम्प्रेस बेगा बेगम (जिसे हाजी बेगम के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा 1569-70 में बनाया गया था, और मिर्क मिर्ज़ा गियास और उनके बेटे, सय्यद मुहम्मद, द्वारा चुने गए फ़ारसी आर्किटेक्ट्स द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

भारत का पहला मकबरा किसने बनवाया था?

भारत का पहला मकबरा सुल्तान गढ़ी का मकबरा है, जो दिल्ली में स्थित है. इसे 1231 ई. में इल्तुतमिश ने अपने बेटे नसीरुद्दीन महमूद की याद में बनवाया था. यह मकबरा शुद्ध इस्लामी शैली में निर्मित भारत का पहला मकबरा माना जाता है. 

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