ऑल्ट, उल्लू, बिग शॉट्स ऐप, देसीफ्लिक्स, बूमेक्स, नवरसा लाइट, गुलाब जैसे ऐप्स शामिल
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सॉफ्ट पॉर्न (Soft Porn) और एडल्ट कंटेंट दिखाने वाले 25 ऐप्स और वेबसाइट्स पर बैन लगाने का फैसला लिया है। इस लिस्ट में ऑल्ट, उल्लू (Ullu) , बिग शॉट्स ऐप, देसीफ्लिक्स, बूमेक्स, नवरसा लाइट, गुलाब जैसे ऐप्स शामिल हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को नोटिफिकेशन जारी करके इन वेबसाइट्स को बंद करने का निर्देश दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इन ओटीटी ऐप्स पर इरॉटिक वेब सीरीज के नाम पर एडल्ट कंटेंट बिना किसी मॉडरेशन के उपलब्ध कराई जा रही थी। इस पर मिली कई शिकायतों के आधार पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐक्शन लिया है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उल्लंघन
मंत्रालय की तरफ से आए नोटिफिकेशन के मुताबिक, ऑल्ट, उल्लू, बिग शॉट्स ऐप, देसीफ्लिक्स, बूमेक्स, नवरसा लाइट, गुलाब ऐप, आदि ऐप्स कथिततौर पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उल्लंघन करती पाई गई हैं। सरकार ने जिन ऐप्स पर बैन लगाया है उनके नाम हैं- कंगन ऐप, बुल ऐप, जलवा ऐप, वाउ एंटरटेनमेंट, लुक एंटरटेनमेंट, हिटप्राइम, फेनेओ, शोएक्स, सोल टॉकिज, अड्डा टीवी, हॉटएक्स वीआईपी, हलचल ऐप. मूडएक्स, नियॉनएक्स वीआईपी, फुगी, मोजफ्लिक्स और ट्राइफ्लिक्स।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 क्या है?
IT Act 2000 भारत का एक प्रमुख साइबर कानून है, जो डिजिटल लेनदेन, साइबर अपराध और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को वैधता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़े मामलों को कानूनी रूप से नियंत्रित करना है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के क्या उद्देश्य हैं?
इस अधिनियम के मुख्य उद्देश्य हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को कानूनी मान्यता देना।
- साइबर अपराधों की रोकथाम और दंड निर्धारण।
- ई-कॉमर्स और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना।
- डिजिटल हस्ताक्षर और डाटा सुरक्षा को वैध बनाना।
- इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
आईटी एक्ट 2000 कब लागू हुआ था?
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 को 17 अक्टूबर 2000 को भारत में आधिकारिक रूप से लागू किया गया। यह भारत का पहला साइबर कानून था, जिसे तेजी से बढ़ते इंटरनेट और डिजिटल दुनिया की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया।
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