नई दिल्ली,। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल और समन्वित कार्रवाई का आह्वान किया है। आयोग ने हरियाणा (Hariyana) की स्थिति को अपेक्षाकृत बेहतर बताते हुए कहा कि वहां इस बार धान कटाई के मौसम में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है।
पंजाब में बढ़ी चिंता, हरियाणा में सुधार
पंजाब के क्षेत्रीय दौरे के दौरान सीएक्यूएम अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बठिंडा स्थित लहरा मोहब्बत ताप विद्युत संयंत्र की खराब स्थिति और उत्सर्जन मानदंडों के पालन नहीं करने पर गंभीर चिंता जताई। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए, तो संयंत्र को बंद करने के निर्देश दिए जा सकते हैं। टीम को क्षेत्र में पराली (Stubble) जलाने की छिटपुट घटनाएं भी मिलीं।
मामूली सुधार, पर अब भी हजारों मामले
7 नवंबर को पंजाब सरकार के साथ उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में आयोग ने बताया कि 15 सितंबर से 6 नवंबर 2025 के बीच राज्य में पराली जलाने की 3,284 घटनाएं दर्ज की गईं। यह आंकड़ा 2024 की समान अवधि के 5,041 मामलों की तुलना में थोड़ा ही कम है, जो केवल मामूली सुधार दर्शाता है।
कुछ जिलों में बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं
जानकारी के अनुसार मुक्तसर और फाजिल्का जैसे जिलों में पराली में आग लगाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके लिए त्वरित हस्तक्षेप की जरूरत है। आयोग ने बताया कि पंजाब के चार ताप विद्युत संयंत्रों ने सितंबर तक केवल 3.12 लाख मीट्रिक टन पराली का ही संयुक्त दहन किया, जबकि 11.83 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया था।
राज्य को दिए निर्देश-बढ़ाएं प्रयास, सुनिश्चित करें मशीनरी
सीएक्यूएम ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह फसल अवशेष प्रबंधन के प्रयासों को और बढ़ाए, मशीनरी की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करे और कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों के लिए सहायता प्रदान करे।
आयोग ने अधिक सख्त प्रवर्तन और जवाबदेही पर जोर देते हुए कहा कि पराली में आग लगाने वाले क्षेत्रों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और जागरूकता अभियान तेज किया जाए।
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