गुवाहाटी । असम विधानसभा में बहुविवाह (Polygamy) पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विधेयक पारित कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस कानून के तहत अगर कोई ऐसा करता है तो उसे सात साल की जेल हो सकती है। साथ ही पीड़ित को 1.40 लाख रुपये मुआवजा देने का भी प्रावधान है।
विधानसभा में विधेयक पर व्यापक चर्चा
विधेयक को पास करने से पहले असम विधानसभा (Assam Assembly) में इसे लेकर चर्चा भी हुई। इस मौके पर सूबे के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर मैं असम में दोबारा सत्ता में आता हूं तो पहले सत्र में हम असम में यूसीसी लाएंगे। उन्होंने कहा कि बहुविवाह विरोधी अधिनियम असम में यूसीसी की ओर पहला कदम है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himant Viswa Sarma) ने मंगलवार को विधानसभा में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला यह विधेयक पेश किया था। विधेयक में बहुविवाह को अपराध घोषित करने का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर सात साल तक जेल की सजा हो सकती है।विधेयक के प्रावधानों से अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों और छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को अलग रखा गया है।
विपक्ष की अनुपस्थिति में पेश हुआ विधेयक
विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमरी की अनुमति के बाद राज्य के गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे शर्मा ने ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक-2025’ पेश किया। यह विधेयक कांग्रेस, माकपा और रायजोर दल के विधायकों की अनुपस्थिति में पेश किया गया, जो सिंगर जुबिन गर्ग की मौत मामले पर चर्चा के बाद सदन से बाहर चले गए।
विधेयक का उद्देश्य
विधेयक के ‘उद्देश्यों एवं कारणों के विवरण’ के अनुसार, इसका उद्देश्य राज्य में बहुविवाह और बहुपत्नी विवाह की प्रथाओं को प्रतिबंधित करना और समाप्त करना है। हालांकि, यह प्रावधान छठी अनुसूची के क्षेत्रों और किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होंगे।
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