मंगलवार सुबह अयोध्या राममय नजर आई. सूर्य की सुनहरी किरणें जब राम मंदिर (Ram Temple) के शिखर से टकराईं, तो दृश्य मनोहारी हो उठा. 25 नवंबर को अभिजीत मुहूर्त में राम मंदिर में ‘धर्म ध्वजा’ फहराया जाना है. इसके लिए शहर में भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं. हर ओर ‘जय श्री राम’ के जयकारे गूंज रहे हैं।
राम मंदिर परिसर और आसपास साधु-संतों ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए विशेष पूजा-अर्चना की. सुबह होते ही घाटों, गलियों और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी. श्रद्धालुओं ने कहा कि यह क्षण सदियों की तपस्या का परिणाम है और ध्वजारोहण में उपस्थित होना उनके जीवन का सौभाग्य है।
ध्वजारोहण में उपस्थित होना उनके जीवन का सौभाग्य है
राम मंदिर परिसर और आसपास साधु-संतों ने इस अवसर को ऐतिहासिक (historical) बताते हुए विशेष पूजा-अर्चना की. सुबह होते ही घाटों, गलियों और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी. श्रद्धालुओं ने कहा कि यह क्षण सदियों की तपस्या का परिणाम है और ध्वजारोहण में उपस्थित होना उनके जीवन का सौभाग्य है।
अयोध्या में 25 नवंबर 2025, विवाह पंचमी के अवसर पर राम मंदिर में ध्वजारोहण निर्धारित है. इसके लिए चंद्र मास के अनुसार अत्यंत शुभ माने जाने वाले अभिजीत मुहूर्त का चयन किया गया है, जो सुबह 11:45 से दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा।
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अयोध्या में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं
अधिकारियों ने बताया कि अयोध्या में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं. लगभग 6,970 कर्मियों, जिनमें ATS कमांडो, NSG स्नाइपर्स, साइबर टीम और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं, को अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी दोपहर करीब 12 बजे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ‘धर्म ध्वज’ का ध्वजारोहण करेंगे. यह ध्वज समकोण त्रिभुजाकार होगा, जिस पर सूर्य, कोविदारा वृक्ष और ‘ॐ’ का चिह्न अंकित रहेगा।
अयोध्या का इतिहास क्या है?
पारंपरिक इतिहास में, अयोध्या कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी, हालांकि बौद्ध काल (6ठी-5वीं शताब्दी ईसा पूर्व ) में श्रावस्ती राज्य का मुख्य शहर बन गया। विद्वान आम तौर पर इस बात पर सहमत हैं कि अयोध्या साकेत शहर के समान है, जहां बुद्ध ने कुछ समय के लिए निवास किया था।
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