पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव आयोग (Election Commission) की उच्चस्तरीय टीम के पटना दौरे के बाद कभी भी चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है। शनिवार को पटना के होटल ताज में इलेक्शन कमीशन की बड़ी बैठक बुलाई गई है।
चुनाव आयोग की पटना बैठक
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त विवेक जोशी और एस.एस. संधू 4 और 5 अक्टूबर को दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचे हैं। यहां आयोग की टीम चुनावी तैयारियों की अंतिम समीक्षा करेगी। सूत्रों के अनुसार, राज्य में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर में कई चरणों में मतदान कराए जा सकते हैं।
राजनीतिक दलों और प्रशासन से मुलाकात
चुनाव आयोग की टीम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी चिंताओं और सुझावों को सुनेगी। साथ ही शीर्ष पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सुरक्षा, निष्पक्ष मतदान, मतदाता सूची, बूथ प्रबंधन और आदर्श आचार संहिता के पालन पर विस्तार से चर्चा होगी।
तीन पार्टियों को नहीं मिला बुलावा
बैठक में बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस समेत प्रमुख दलों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को बुलावा नहीं भेजा गया। इसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
मतदाता सूची पर विवाद
हाल ही में बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पूरा किया गया। 30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम सूची में लगभग 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि करोड़ों नाम सूची से गायब कर दिए गए, लेकिन आयोग ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसका लक्ष्य है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और अपात्र शामिल न हो।
सुरक्षा और पारदर्शिता पर फोकस
बिहार जैसे बड़े और संवेदनशील राज्य में चुनाव आयोग सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर बेहद सतर्क है। विभिन्न जिलों में सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। आयोग का प्रयास है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों और मतदाताओं को सुरक्षित माहौल मिले।
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