नई दिल्ली,। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से मिले एडवांस्ड डेटा प्रोडक्ट्स की घोषणा की, जो चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों (पोलर रीजन) की गहरी समझ दे रहे हैं। इनमें सतह की भौतिक विशेषताएं (फिजिकल प्रॉपर्टीज), डाइइलेक्ट्रिक गुण और वॉटर-आईस की संभावित मौजूदगी से जुड़े नए पैरामीटर्स शामिल हैं। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) एक्स पर लिखा, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त एडवांस्ड डेटा प्रोडक्ट्स लूनर पोलर रीजन की गहन समझ के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह भारत का भविष्य के ग्लोबल चंद्र अन्वेषण में बड़ा योगदान होगा।
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर का सात साल का शानदार सफर
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से लूनर कक्षा में सक्रिय है। इसके डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार (DFSR) ने अब तक 1400 से अधिक हाई-क्वालिटी रडार डेटासेट उपलब्ध कराए हैं। यह दुनिया का पहला उपकरण है, जो 25 मीटर प्रति पिक्सल रेजोल्यूशन पर एल-बैंड में फुल-पोलरिमेट्रिक मोड से चंद्रमा की मैपिंग करता है। यह रडार वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों दिशाओं में सिग्नल भेजता और प्राप्त करता है, जिससे सतह की संरचना, खुरदरापन और घनत्व का सटीक विश्लेषण संभव हो पाता है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाए तीन एडवांस्ड डेटा प्रोडक्ट्स
अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) के वैज्ञानिकों ने इन डेटासेट्स का उपयोग कर स्वदेशी एल्गोरिदम विकसित किए हैं। इनसे तीन प्रमुख एडवांस्ड प्रोडक्ट्स तैयार हुए हैं —
- वॉटर-आईस की संभावना
- सतह का खुरदरापन
- डाइइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट
डाइइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट चंद्रमा की मिट्टी की डेंसिटी, पोरसिटी और रासायनिक संरचना बताता है, जो भविष्य में लैंडिंग साइट चुनने और संसाधन उपयोग के लिए अहम है।
दक्षिणी ध्रुव पर वॉटर-आईस की मजबूत संभावना
इसरो के मुताबिक, ये डेटा प्रोडक्ट्स चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पहली बार इतनी बारीकी से तैयार किए गए हैं। खासकर दक्षिणी ध्रुव पर, जहां भारत का चंद्रयान-3 लैंडिंग कर चुका है, इनकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वॉटर-आईस की पुष्टि भविष्य के मानव मिशनों के लिए ईंधन (हाइड्रोजन-ऑक्सीजन) और पीने का पानी उपलब्ध करा सकती है।
भारत की बढ़ी अंतरिक्ष ताकत
इसरो ने फुल-पोलरिमेट्रिक डेटा एनालिसिस के लिए पूरी तरह स्वदेशी तकनीक विकसित की है। ये प्रोडक्ट्स न सिर्फ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत करेंगे, बल्कि नासा, ईएसए जैसी वैश्विक एजेंसियों के साथ सहयोग में भी योगदान देंगे।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी 100 किमी की कक्षा में सक्रिय है और सात साल से अधिक समय से डेटा भेज रहा है — यह मिशन की सफलता और इसरो की तकनीकी क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है।
भविष्य में गगनयान, चंद्रयान-4 और अंतरराष्ट्रीय चंद्र स्टेशन जैसे मिशनों के लिए यह आंकड़े आधार साबित होंगे।
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