कोलकाता। पश्चिम बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (BCDA) ने राज्यभर के दवा विक्रेताओं को इस सिरप की बिक्री और खरीद तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश दिया है। ये वही कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Cough Syrup) है जिसे बच्चों की जान का दुश्मन माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में गुरुवार को तीन और बच्चों की मौत के बाद मरने वालों की कुल संख्या 20 पर पहुंच गई है। पांच बच्चे अब भी नागपुर में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। जिसके बाद अब एहतियात बरतते हुए पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी इस दवा की बिक्री और खरीद पर बैन लगा दिया गया है।
बंगाल औषधि नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए निर्देश
बंगाल राज्य औषधि नियंत्रण बोर्ड ने निर्देश दिया है कि दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की खरीद केवल अनुमोदित विक्रेताओं से की जाए और प्रमाणित प्रयोगशालाओं में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। तमिलनाडु स्थित कंपनी द्वारा निर्मित इस सिरप से जुड़ी मौतों के बाद कई राज्यों में दहशत फैल गई है।
जांच में सामने आए खतरनाक रसायन
जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल, ग्लिसरीन और सोर्बिटॉल जैसे रसायन मौजूद हैं, जिनकी गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई है। बीसीडीए के सचिव पृथ्वी बसु ने बताया कि जिस बैच को मध्यप्रदेश की घटना से जोड़ा जा रहा है, वह पश्चिम बंगाल में नहीं पहुंचा है, लेकिन एहतियातन सभी दवा विक्रेताओं को इस ब्रांड की बिक्री रोकने को कहा गया है।
11 अक्टूबर को बैठक बुलाने का निर्णय
बीसीडीए सचिव ने कहा कि 11 अक्तूबर को दवा विक्रेताओं के साथ बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस सलाह को सख्ती से लागू करने और निगरानी बढ़ाने पर चर्चा होगी। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी स्टोर पर कोल्ड्रिफ सिरप मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
अरुणाचल और तेलंगाना ने भी उठाया कदम
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री व उपयोग पर रोक लगा दी थी। अरुणाचल प्रदेश औषधि नियंत्रण ने श्रीसन फार्मास्युटिकल से निर्मित इस सिरप के वितरण और भंडारण पर प्रतिबंध लगाने संबंधी परामर्श जारी किया है।
वहीं तेलंगाना औषधि नियंत्रण प्रशासन ने भी दो कफ सिरप—रीलाइफ और रेस्पीफ्रेश टीआर—के खिलाफ सार्वजनिक चेतावनी जारी की है। जांच में पाया गया कि इन सिरप में जहरीले पदार्थों की मिलावट की गई थी।
कंपनी पर गंभीर सवाल
औषधि निरीक्षकों ने पाया कि कंपनी के पास उस समय प्रोपिलीन ग्लाइकॉल का कोई वैध स्टॉक नहीं था, न ही रसायन की खरीद के दस्तावेज मौजूद थे। इससे शक और गहरा गया कि कंपनी ने खतरनाक रसायनों को छिपाने की कोशिश की। जांच एजेंसियों ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
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