विमानों को मिले गलत नेविगेशन सिग्नल, सरकार ने शुरू की जांच
नई दिल्ली: दिल्ली के ऊपर उड़ने वाले विमानों को पिछले एक सप्ताह से जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) यानी फेक अलर्ट का सामना करना पड़ रहा है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सूत्रों के अनुसार, दिल्ली(Delhi) के करीब 100 किमी के दायरे में ऐसी लगभग 100 घटनाएं सामने आई हैं। जीपीएस स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला है, जिसमें नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए झूठे जीपीएस सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा अलर्ट मिलते हैं। फ्लाइट रेगुलेटर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को इन घटनाओं की जानकारी दे दी गई है और सरकार ने इनकी जांच शुरू कर दी है।
पायलटों को लैंडिंग के समय मिली चेतावनी
पायलटों ने बताया कि उन्हें उड़ान के दौरान बार-बार जीपीएस स्पूफिंग का सामना करना पड़ा। एक पायलट के अनुसार, दिल्ली(Delhi) एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंड करते समय उनके कॉकपिट सिस्टम में एक अलर्ट आया कि आगे रूट पर कोई खतरा है, जबकि वास्तव में वहाँ कोई खतरा नहीं था। इस प्रकार के फेक अलर्ट के कारण कई उड़ानों में देरी भी हुई है। हालांकि भारत-पाकिस्तान सीमा पर जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं आम हैं, लेकिन दिल्ली के ऊपर, जहाँ आमतौर पर आर्मी एक्सरसाइज की कोई पूर्व सूचना नहीं थी, ऐसी घटनाएं असामान्य मानी जा रही हैं।
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विमान की सुरक्षा और जीपीएस स्पूफिंग से निपटने के उपाय
हालांकि जीपीएस स्पूफिंग नेविगेशन में गलती पैदा करती है, लेकिन इससे विमान की सुरक्षा को सीधा खतरा नहीं होता। इसका कारण यह है कि विमानों में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम भी शामिल होता है, जिसका उपयोग नेविगेशन के लिए किया जाता है। यदि प्राथमिक जीपीएस और नेविगेशन सिस्टम विफल भी हो जाए, तो भी विमान को लगभग पाँच घंटे तक कोई गंभीर असर नहीं पड़ेगा। अगर पायलट रूट से भटक जाता है, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर मैनुअली रूट बताकर उसकी मदद कर सकता है। DGCA ने पहले ही नवंबर 2023 में एयरलाइनों को SOP का पालन करने और जीपीएस(Delhi) स्पूफिंग की घटनाओं पर हर दो महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।
जीपीएस स्पूफिंग से विमान की सुरक्षा को खतरा क्यों नहीं होता, भले ही नेविगेशन में गलती हो रही हो?
जीपीएस स्पूफिंग से विमान की सुरक्षा को सीधा खतरा इसलिए नहीं होता, क्योंकि विमान में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS) भी लगा होता है। यह सिस्टम जीपीएस के फेल हो जाने पर भी पाँच घंटे तक नेविगेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि जीपीएस स्पूफिंग के कारण पायलट विमान का रूट भटक जाए, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) किस तरह से मदद करता है?
जीपीएस स्पूफिंग के कारण रूट भटकने पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) पायलट की मदद कर सकता है। वे मैनुअली (हाथ से) पायलट को सही रूट और आवश्यक नेविगेशन निर्देश बताते हैं।
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