पटना,। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के बीच चुनाव आयोग ने सभी प्रत्याशियों को सख्त चेतावनी दी है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी खर्च में किसी भी तरह की गड़बड़ी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रत्याशियों को नामांकन से लेकर नतीजों तक हर खर्च का ब्योरा देना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग सकता है।
हर पैसे का देना होगा पूरा हिसाब
चुनाव व्यय प्रेक्षक आईआरएस नेहा (IRS Neha) और वीजी शेषाद्री ने उम्मीदवारों और उनके एजेंटों से कहा कि नामांकन की तिथि से लेकर मतगणना तक के खर्च का सटीक रिकॉर्ड रखना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग इस बार पारदर्शिता को लेकर बेहद सख्त है।
अलग बैंक खाता खोलना अनिवार्य
प्रत्येक प्रत्याशी को चुनावी खर्च (Election Expenses) के लिए एक अलग बैंक खाता खोलना होगा। 10 हजार रुपये से अधिक के किसी भी भुगतान के लिए अकाउंट पेयी चेक का इस्तेमाल करना अनिवार्य रहेगा। इससे नकद लेन-देन पर अंकुश लगाया जा सकेगा और धन-बल के दुरुपयोग को रोका जाएगा।
नकद लेन-देन पर कड़ी निगरानी
नकद खर्च की सीमा बहुत सीमित रखी गई है। व्यय प्रेक्षकों ने कहा कि यह व्यवस्था चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए की गई है। सभी बड़े भुगतान बैंकिंग चैनलों से ही किए जाएं, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
तीन रंग के रजिस्टर में दर्ज होगा हिसाब
इस बार प्रत्याशियों को चुनावी खर्च दर्ज करने के लिए तीन रंगों का विशेष रजिस्टर दिया जाएगा—
- सफेद पेज: दैनिक खर्चों का विवरण (जैसे सभा, प्रचार, पोस्टर आदि)।
- गुलाबी पेज: नकद लेन-देन और उसकी रसीदें।
- पीला पेज: बैंक के माध्यम से किए गए भुगतान और चेक नंबर।
पारदर्शिता पर फोकस
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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