पटना, 24 जुलाई 2025: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा,
“हम मृत मतदाताओं, दोहरे पंजीकरण वाले लोगों, या विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची में कैसे रहने दे सकते हैं? क्या फर्जी मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति देनी चाहिए?”
“अपने प्यारे भारत का भविष्य
भारत का संविधान ही तो भारत के लोकतंत्र की जननी है. तो क्या, इन बातों से डर कर चुनाव आयोग, ऐसे लोगों के बहकावे में आकर, मरे हुए मतदाताओं, स्थायी तौर से प्रवास कर गये मतदाताओं, दो जगह वोट बनवा चुके मतदाताओं, फ़र्ज़ी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फ़र्ज़ी वोट डालने के मार्ग को पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, संविधान के विरुद्ध जाकर ऐसे लोगों का मार्ग प्रशस्त कर दे ?
यह बयान उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विपक्ष के विरोध और आरोपों के जवाब में दिया। विपक्ष ने SIR को अल्पसंख्यकों, दलितों और गरीबों के मताधिकार छीनने की साजिश करार दिया है।
चुनाव आयोग का बयान और SIR का उद्देश्य
चुनाव आयोग ने बिहार में SIR को संविधान के अनुच्छेद 324 और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1950 की धारा 21 के तहत शुरू किया है। इसका मकसद मतदाता सूची को शुद्ध करना और केवल पात्र भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार सुनिश्चित करना है। CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा:
– “भारत का संविधान लोकतंत्र की नींव है। शुद्ध मतदाता सूची निष्पक्ष और मजबूत चुनावों का आधार है।”
– “क्या हम मृत लोगों, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो जगह पंजीकृत लोगों, या विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची में रख सकते हैं?”
आयोग के अनुसार, अब तक 56 लाख मतदाताओं को हटाने के लिए चिह्नित किया गया है, जिसमें:
– 20 लाख मृत मतदाता,
– 28 लाख जो स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए,
– 7 लाख दोहरे पंजीकरण वाले,
– 1 लाख गैर-पता योग्य मतदाता शामिल हैं।
SIR की प्रक्रिया और नियम
1. प्रारंभ और समयसीमा:
– SIR की शुरुआत 24 जून 2025 को हुई।
– मतदाताओं को 25 जुलाई 2025 तक गणना फॉर्म जमा करने हैं।
– 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होगी।
– 1 सितंबर 2025 तक दावे-आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं।
– अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को जारी होगी।
2. दस्तावेज और सत्यापन:
– मतदाताओं को 11 दस्तावेजों में से एक जमा करना है, जैसे जन्म प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, या OBC/SC/ST प्रमाण पत्र। आधार, राशन कार्ड, और वोटर आईडी को प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है।
– जिनके पास ये दस्तावेज नहीं हैं, उनके लिए इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) स्थानीय जांच, पंचायत प्रमुखों के बयान, या बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर निर्णय ले सकता है।
– सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर आयोग आधार, वोटर आईडी, और राशन कार्ड को शामिल करने पर विचार कर रहा है।
3. पारदर्शिता और संसाधन:
– आयोग ने 77,895 BLOs, 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स, और 1 लाख स्वयंसेवकों को इस काम में लगाया है।
– 94.68% मतदाताओं (7.89 करोड़ में से 7.47 करोड़) ने अब तक फॉर्म जमा किए हैं।
गैर-पता योग्य, मृत, या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं की सूची राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई है।
4. फर्जी मतदाताओं पर कार्रवाई:
– SIR के दौरान नेपाल, बांग्लादेश, और म्यांमार के लोगों के नाम मतदाता सूची में पाए गए, जिनके पास आधार जैसे भारतीय दस्तावेज थे
– आयोग ने इन नामों को अंतिम सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसके लिए ड्राफ्ट सूची पर आपत्तियों के बाद जांच होगी।
विपक्ष का विरोध
इंडिया गठबंधन (कांग्रेस, RJD, सपा) ने SIR को “लोकतंत्र की हत्या” और “NRC का बैकडोर” बताया। उनके मुख्य आरोप:
– 11 दस्तावेजों की मांग: गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक मतदाताओं के पास ये दस्तावेज नहीं हैं, जिससे लाखों लोग वोटिंग से वंचित हो सकते हैं।
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