National: बिहार में बिजली क्रांति: अंधेरे से उजाले की ओर

By Surekha Bhosle | Updated: June 18, 2025 • 7:30 PM

20 साल में ऐतिहासिक बदलाव

प्रति व्यक्ति 5 गुणा बढ़ी ऊर्जा की खपत

जानकारी के मुताबिक बीते 20 सालों के दौरान प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत में करीब 5 गुणा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2012 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत 134 किलोवॉट और 2014 में यह बढ़कर 160 किलोवॉट दर्ज की गई थी. बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में भी करीब साढ़े 12 गुणा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2005 में राज्यभर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख थी, जो 2025 में बढ़कर 2 करोड़ 14 लाख हो गई।

शहर हो या गांव, अब 22-24 घंटे बिजली

वर्तमान में राज्य के सभी शहरों या गांवों में औसतन 22 से 24 घंटे रहती है. अभी शहरी क्षेत्रों में औसतन 23-24 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 22-23 घंटे बिजली रहती है. वहीं, 2005 की बात करें, तो शहरी क्षेत्रों में औसतन 10-12 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत 5-6 घंटे का था. 2012 में शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता 14-16 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 8 से 10 घंटे बिजली रहती थी।

2014 में शहरी इलाके में औसतन 20-21 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्र में औसतन 14-16 घंटे बिजली मिलती थी. राज्य में विद्युतीकृत गांवों की संख्या (2005 में) 14 हजार 20 से बढ़कर 39 हजार 73 हो गई है. इसी तरह 2025 में राज्य के विद्युतीकृत टोलों की संख्या 1 लाख 6 हजार 249 हो गई है।

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