Latest Hindi News : ई-वेस्ट से बनेगी ईवी बैटरी, लेकिन बढ़ेगा प्रदूषण का खतरा

By Anuj Kumar | Updated: October 24, 2025 • 10:41 AM

नई दिल्ली,। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारी उद्योग मंत्रालय को सुझाव दिया है कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के लिए प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना में पुराने मैग्नेट्स की रीसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए। मंत्रालय का तर्क है कि जैसे-जैसे देश 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ई-वेस्ट की मात्रा भी कई गुना बढ़ेगी।

मोबाइल से लेकर ईयरफोन तक में रीसाइक्लिंग की शुरुआत

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पहले से ही रीसाइक्ल (Rcycle) किए गए मैग्नेट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। चीन द्वारा REPM की सप्लाई पर रोक लगाने के बाद भारतीय कंपनियों ने वैकल्पिक चैन तैयार की, जिससे उत्पादन पर असर सीमित रहा।

ई-वेस्ट उत्पादन में भारत तीसरे नंबर पर

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2022 में करीब 4.17 मिलियन टन ई-वेस्ट उत्पन्न किया — जिससे वह अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश बन गया। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते डिजिटलाइजेशन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रसार से यह आंकड़ा आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ेगा।

पीएलआई योजना के तहत पांच नई यूनिटें

भारी उद्योग मंत्रालय की प्रस्तावित योजना के तहत देश में पांच मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 6,000 टन प्रति वर्ष होगी। इसके तहत कंपनियों को पूंजी सब्सिडी और बिक्री आधारित प्रोत्साहन मिलेंगे। मंत्रालय ने रीसाइक्लिंग को भी जोड़ने की सिफारिश की है ताकि ई-वेस्ट प्रबंधन टिकाऊ बने।

चीन पर निर्भरता घटाने की कोशिश

अप्रैल 2025 से चीन द्वारा भारत को REPM निर्यात रोकने के बाद भारतीय ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर दबाव बढ़ा है। दुनिया के करीब 90% रेयर अर्थ मैग्नेट्स चीन में बनते हैं, जिससे भारत की सप्लाई प्रभावित होती है। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि सप्लाई में देरी से ईवी, सेमीकंडक्टर और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। मंत्रालयों के बीच समन्वय से यह कदम भारत को आत्मनिर्भर मैग्नेट उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ा सकता है

ई-वेस्ट में भारत का क्या स्थान है?

इसे सुनेंई-कचरा उत्पादन के मामले में भारत दुनिया भर में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है और हर साल 32 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा पैदा करता है। देश ने 2022 में 1.6 मिलियन मीट्रिक टन ई-कचरा संसाधित किया, जबकि इसकी वार्षिक वृद्धि दर 118% की चौंकाने वाली गति से बढ़ी।

ई वेस्ट में भारत का रैंक क्या है?

इसे सुनेंसंयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है। वित्तीय वर्ष 2022 में, भारत ने लगभग 1.6 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न किया, जिसके अनुमान 2030 तक बढ़कर 29 मिलियन टन हो जाने का संकेत देते हैं।

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