National : फिजी के पीएम राबुका भारत दौरे पर, बोले- मोदी हैं दुनिया के बॉस

By Anuj Kumar | Updated: August 24, 2025 • 2:24 PM

नई दिल्ली । फिजी गणराज्य के प्रधानमंत्री सीटिवेनी लिगामामादा राबुका अपनी पत्नी सुलुवेती राबुका के साथ चार दिवसीय यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि राबुका (Rabuka) की यात्रा से भारत-फिजी साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों में और मजबूत होगी।

24 से 27 अगस्त तक रहेंगे भारत में

प्रधानमंत्री राबुका 24 से 27 अगस्त तक भारत में रहेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, आज उनकी एक कैबिनेट मंत्री के साथ बैठक होगी।

मोदी को बताया ‘दुनिया का बॉस’

जनवरी 2025 में फिजी में राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू (Satnam Singh Sandhu) और आईएमएफ की संस्थापक प्रोफेसर हिमानी सूद से मुलाकात के दौरान राबुका ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के बॉस हैं। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास एक उत्कृष्ट शासन मॉडल है, जिसका पालन पीएम मोदी कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी एक साथ आगे बढ़ें और समृद्ध हों।

राजघाट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कार्यक्रम

25 अगस्त को राबुका राजघाट पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी, जहां समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान और प्रेस वक्तव्य जारी होंगे। इसके बाद वे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे।

भारतीय परिषद में देंगे व्याख्यान

26 अगस्त को फिजी के प्रधानमंत्री सप्रू हाउस में भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) द्वारा आयोजित एक व्याख्यान देंगे। यह यात्रा 27 अगस्त को दिल्ली से उनके प्रस्थान के साथ समाप्त होगी।

भारत-फिजी संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत और फिजी के बीच लंबे समय से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। ऐतिहासिक सांस्कृतिक जुड़ाव, प्रवासी भारतीय समुदाय और आपसी सहयोग इन रिश्तों को और मजबूत करते हैं।

भारत और फिजी के संबंध 1879 में शुरू हुए, जब भारतीय मजदूरों (गिरमिटिया) को गन्ने के बागानों में काम करने के लिए अनुबंध प्रणाली के तहत फिजी लाया गया था। 1879 से 1916 के बीच करीब 60,553 भारतीय वहां पहुंचे। 20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय व्यापारी और अन्य लोग भी फिजी जाने लगे। 1920 में अनुबंध प्रणाली समाप्त हो गई।

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