78 दिनों का बोनस, क्या है इसका असर?
नई दिल्ली, 24 सितंबर 2025 – त्योहारों से पहले केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि भारतीय रेलवे के गैर-राजपत्रित कर्मचारियों को 78 दिनों का प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) दिया जाएगा। इस घोषणा से देशभर में करीब 11.5 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
बोनस का दायरा और पात्र कर्मचारी
यह बोनस रेलवे के ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलेगा, जिनमें लोको पायलट, गार्ड, ट्रैक मैन, स्टेशन मास्टर, तकनीशियन, हेल्पर और पॉइंट्समैन जैसे कर्मचारी शामिल हैं। अधिकारियों और उच्च प्रबंधकीय वर्ग को इसमें शामिल नहीं किया गया है। बोनस की राशि सीधा बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी और सरकार ने जल्द भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
PLB स्कीम की अहमियत
रेलवे कर्मचारियों के लिए बोनस का यह स्वरूप नया नहीं है। 1979-80 से ही प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) की परंपरा चली आ रही है। इसका मकसद कर्मचारियों की उत्पादकता, समय पर सेवाओं का संचालन और रेलवे की वित्तीय सेहत में सुधार में उनके योगदान को सम्मान देना है। चूंकि रेलवे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और माल ढुलाई से लेकर यात्री सेवाओं तक इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है, ऐसे में कर्मचारियों को प्रोत्साहन देना बेहद अहम है।
आर्थिक और सामाजिक असर
यह बोनस ऐसे समय में आया है जब महंगाई से आम परिवार जूझ रहे हैं। त्योहारों के मौसम में यह अतिरिक्त धनराशि कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित होगी। इससे न सिर्फ उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी बल्कि बाज़ार में खपत और मांग में भी वृद्धि होगी। खुदरा व्यापारियों और स्थानीय बाज़ारों के लिए भी यह कदम सकारात्मक माना जा रहा है।
राजनीतिक महत्व
त्योहारों के समय ऐसे फैसले राजनीतिक दृष्टि से भी अहम होते हैं। रेलवे सबसे बड़ा सरकारी नियोक्ता है और इसके कर्मचारियों का व्यापक जनाधार है। 78 दिनों के बोनस का फैसला यह संदेश देता है कि सरकार कर्मचारियों को केवल “संसाधन” नहीं बल्कि “भागीदार” मानती है। साथ ही, यह कदम केंद्र सरकार की “प्रो-एम्प्लॉयी” छवि को और मजबूत करता है।
त्योहारों के पहले इस घोषणा से रेलवे कर्मचारियों के घरों में दीयों की रोशनी और चमकदार हो जाएगी। यह सिर्फ एक आर्थिक राहत नहीं बल्कि कर्मचारियों के योगदान की स्वीकृति भी है। लंबे समय से चली आ रही PLB व्यवस्था एक बार फिर साबित करती है कि रेलवे कर्मचारियों की मेहनत को सरकार अनदेखा नहीं कर सकती।
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