Bihar : वोटर लिस्ट से नाम कटा तो मुफ्त राशन और पेंशन नहीं मिलेगी : तेजस्वी

By Anuj Kumar | Updated: July 3, 2025 • 8:54 AM

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने आरोप लगाया है कि बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) से पूर्व हो रहे मतदाताओं के रिवीजन के जरिए पहले वोटर लिस्ट से गरीबों के नाम काटे जाएंगे, फिर इनकी राशन और पेंशन बंद कर दी जाएगी। 

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बुधवार को आरोप लगाया कि मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर चुनाव आयोग गरीबों का नाम मतदाता सूची (Voter List) से हटा रहा है। इस मसले पर सभी सत्ताधारी दल चुप हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि वोटर लिस्ट से नाम हटने के बाद गरीबों को पेंशन और मुफ्त राशन भी नहीं मिलेगा। बता दें कि बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के स्पेशल इन्टेन्सिव रिवीजन यानी विशेष गहन पुनरीक्षण पर राजनीति गर्माई हुई है।

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एजेंट बनकर काम कर रहा है। एक देश-एक चुनाव की बात करने वाले लोग बिहार में मनमर्जी करने में लगे हैं।

बीजेपी बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है : तेजस्वी

उन्होंने कहा, “बीजेपी बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है। पहले ये वोटर लिस्ट से गरीबों का नाम हटाएंगे, फिर पेंशन खत्म करेंगे, फिर राशन खत्म करेंगे।” तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि डर के कारण चुनाव आयोग को आगे करके बीजेपी पीछे से खेल रही है। आयोग से उन्होंने मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल पूछे, उसके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं।

बता दें कि निर्वाचन आयोग ने पिछले सप्ताह बिहार में मतदाताओं का गहन पुनरीक्षण शुरू किया, जो एक महीने तक चलेगा। इसके जरिए घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। फर्जी वोटर की पहचान कर उनका नाम मतदाता सूची से बाहर किया जाएगा। साथ ही नए मतदाताओं को जोड़ा जाएगा।

चुनाव आयोग के पास पहुंचा इंडिया गठबंधन

दूसरी ओर, विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंच कर बिहार में मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण पर आपत्ति जताई। इस दौरान आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, सपा समेत 11 पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। कांग्रेस ने कहा कि पिछली बार साल 2003 में वोटर लिस्ट का रिव्यू किया गया था। उसके एक साल बाद 2004 में लोकसभा चुनाव हुए थे। इस बार बिहार में चुनाव से चंद महीने पहले ही यह रिव्यू किया जा रहा है, जो गलत है।

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