Latest Hindi News : India- भारत-अफगानिस्तान बढ़ते संबंधों ने पाकिस्तान में बढ़ाई चिंता

By Anuj Kumar | Updated: November 26, 2025 • 11:14 AM

नई दिल्ली। अफगानिस्तान के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी की भारत यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा भर दी है। 2021 में तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने के बाद यह पहला अवसर है जब दोनों देशों ने बड़े स्तर पर व्यावहारिक प्रगति दर्ज की। इस प्रगति ने पाकिस्तान में चिंता बढ़ा दी है।

वीज़ा और चिकित्सा सहयोग में प्रगति

अज़ीज़ी ने घोषणा की कि भारत–अफगान वीज़ा (India- Afgan Visa) संबंधी मुद्दे पूरी तरह सुलझा लिए गए हैं। अब अफगान व्यापारी और आम नागरिक काबुल स्थित भारतीय दूतावास से आसानी से व्यापारिक और चिकित्सा वीज़ा प्राप्त कर सकेंगे। विशेष रूप से, चिकित्सा वीज़ा की बहाली महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत अफगान नागरिकों के लिए सबसे भरोसेमंद चिकित्सा गंतव्य माना जाता है।

व्यापार और कनेक्टिविटी में समझौते

इस यात्रा के दौरान—

अफ़गानिस्तान भारत की कपास और परिधान विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाहता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात में अज़ीज़ी ने द्विपक्षीय व्यापार को 1 अरब डॉलर (One Arab Dollar) से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य दोहराया।

पाकिस्तान पर कम निर्भरता का संकेत

अफ़गानिस्तान ने संकेत दिया कि पाकिस्तान पर अत्यधिक निर्भरता अब नुकसानदेह है। हालिया सीमा झड़पें और व्यापार रुकावटें इस रुख को मजबूत करती हैं। अज़ीज़ी के बयान— “भारत बेहतर गुणवत्ता और बेहतर शर्तों वाला साझेदार है”—ने दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में हलचल पैदा की है।

नई रणनीतिक पहल

भारत–अफगान एयर कॉरिडोर, चाबहार पोर्ट मार्ग और मध्य एशिया के जमीनी मार्गों को पुनः सक्रिय करने की दिशा में नई पहल देखने को मिली। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से दवाइयों के आयात पर तीन माह का अस्थायी प्रतिबंध भी लगाया, जो रणनीतिक पुनर्संतुलन का संकेत है।

ऐतिहासिक महत्व

अज़ीज़ी की यह यात्रा केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक, मानवीय और सामरिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। इससे पहले अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा ने संवाद का मार्ग खोला था, जिसे अब वाणिज्यिक स्तर पर आगे बढ़ाया गया है।

दो सप्ताह में हुई इन उच्चस्तरीय यात्राओं ने स्पष्ट कर दिया है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान के प्रभाव से बाहर निकलकर भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी चाहता है। यह नई गर्माहट दक्षिण एशिया में बदलते समीकरणों का संकेत है, जहाँ भारत और अफगानिस्तान एक बार फिर विश्वसनीय और रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहे हैं।

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