India cigarette tax law : सिगरेट की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना वाले एक अहम कानून को भारतीय संसद ने मंजूरी दे दी है। 3 दिसंबर को पारित हुए इस नए टैक्स कानून से देश के करीब 10 करोड़ smokers पर असर पड़ सकता है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है।
सरकार का कहना है कि तंबाकू सेवन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं देश के संसाधनों पर बड़ा बोझ हैं। इसी कारण सिगरेट की खपत कम करने के लिए सरकार पहले से ही चेतावनी नियमों और टैक्स दरों में बदलाव जैसे कदम उठा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा, “हम नहीं चाहते कि सिगरेट एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध वस्तु बन जाए।” उन्होंने बताया कि फिलहाल भारत में सिगरेट पर कुल कर खुदरा मूल्य का करीब 53 प्रतिशत है, जो खपत घटाने के लिए WHO द्वारा सुझाए गए 75 प्रतिशत के मानक से काफी कम है।
आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखें तो सिगरेट की कीमतों में वास्तविक बढ़ोतरी नहीं हुई है, ऐसा WHO के आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा। इन्हीं कारणों से संसद ने सेंट्रल एक्साइज (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी है, जो फिलहाल लागू अस्थायी कर व्यवस्था को समाप्त करेगा।
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नए कानून के तहत सिगरेट के आकार के आधार पर प्रति एक हजार स्टिक पर ₹2,700 से लेकर ₹11,000 तक का मूल्य आधारित कर लगाया जाएगा। यह कर पहले से लागू 40 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अतिरिक्त होगा।
वर्तमान में सिगरेट पर 28 प्रतिशत जीएसटी और (India cigarette tax law) अन्य उपकर लगाए जाते हैं। ITC और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया जैसी प्रमुख सिगरेट निर्माता कंपनियों ने अभी तक इस बदलाव पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस टैक्स बदलाव से सिगरेट की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कर बढ़ने से कंपनियां कीमतें बढ़ा सकती हैं। EY इंडिया के पार्टनर बिपिन सप्रा के अनुसार, प्रस्तावित एक्साइज ड्यूटी मौजूदा टैक्स की तुलना में औसतन 25 से 40 प्रतिशत अधिक है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप उच्च कर दरें उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव लाने में मदद करती हैं। WHO के अनुसार, भारत में हर साल करीब 13.5 लाख मौतों के लिए तंबाकू सेवन जिम्मेदार है।
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