Latest Hindi News : भारत को वन क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर 9वां स्थान

By Anuj Kumar | Updated: November 5, 2025 • 10:29 AM

नई दिल्ली,। भारत ने वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में नौवां स्थान हासिल करते हुए पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक अहम उपलब्धि दर्ज की है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने यह जानकारी विगत दिवस बाली में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी वैश्विक वन संसाधन आकलन 2025 रिपोर्ट का हवाला देते हुए दी।

दुनिया के 54% वन सिर्फ पांच देशों में

एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व का कुल वन क्षेत्र 4.14 अरब हेक्टेयर है, जो पृथ्वी की लगभग 32 प्रतिशत भूमि पर फैला है। इसमें से 54 प्रतिशत वन क्षेत्र सिर्फ पांच देशों- रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में है। भारत, ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया (Indoneshia) के बाद, शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है।

वन क्षेत्र वृद्धि में भारत तीसरे स्थान पर

2015 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में वार्षिक शुद्ध वृद्धि के मामले में चीन शीर्ष पर (1.69 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष) रहा, जबकि रूस (9.42 लाख हेक्टेयर) और भारत तीसरे स्थान पर (1.91 लाख हेक्टेयर प्रति वर्ष) रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहां 1990 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसमें भारत और चीन का योगदान सबसे अधिक है।

सरकारी नीतियों और जनभागीदारी का परिणाम

केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यह सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा चलाई जा रही वन संरक्षण, वनीकरण और सामुदायिक भागीदारी आधारित पर्यावरणीय नीतियों का परिणाम है। यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी एक पोस्ट की और कहा कि भारत ने जीएफआरए-2025 में वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में 10वें से 9वें स्थान पर पहुंचकर उल्लेखनीय प्रगति की है।

वृक्षारोपण अभियानों ने बढ़ाई जागरूकता

यादव ने कहा कि यह उपलब्धि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान तथा एक पेड़ मां के नाम जैसे जनआंदोलनों से मिली है। इन अभियानों ने लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और समाज में हरित भविष्य की सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित किया है।

विशेषज्ञों ने सराहा भारत का प्रयास

विशेषज्ञों की राय है कि यह उपलब्धि भारत को वैश्विक जलवायु संरक्षण के प्रयासों में अग्रणी बनाती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित, टिकाऊ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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