Tarrif War : भारत का जवाब, जयशंकर ने रूसी कंपनियों से बोले- चलो इंडिया”

By Anuj Kumar | Updated: August 21, 2025 • 11:47 AM

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की है। लेकिन भारत ने इस दबाव के सामने झुकने के बजाय रणनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाते हुए रूस की ओर रुख किया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (Dr S Jayshankar) ने रूस के साथ आर्थिक और कारोबारी रिश्तों को और गहराई देने का आह्वान किया है। उन्होंने रूसी कंपनियों से भारत में निवेश और साझेदारी के लिए आगे आने की अपील की है, ताकि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग नई ऊंचाइयों तक पहुंच सके।

भारत : निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर

जयशंकर ने रूस के कारोबारी जगत को संबोधित करते हुए भारत की आर्थिक मजबूती और विकास यात्रा का जिक्र किया।

जयशंकर ने खास तौर पर कहा कि भारत को भरोसेमंद स्रोतों से उर्वरक, रसायन, मशीनरी और ऊर्जा की आवश्यकता है और इसमें रूस एक बड़ा सहयोगी बन सकता है।

जयशंकर ने अपने संबोधन में भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत इस समय विश्व की सबसे मजबूत और तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुकी है और यह सात प्रतिशत की दर से लगातार आगे बढ़ रही है। इस विकास यात्रा में विदेशी कंपनियों के लिए अपार अवसर मौजूद हैं।

रूसी कंपनियां भारत के लिए महत्वपूर्ण साझेदार बन सकती हैं

विदेश मंत्री ने खासतौर पर रूस की कंपनियों को भरोसा दिलाया कि भारत में “मेक इन इंडिया” और अन्य सुधारवादी नीतियों ने निवेश का माहौल और अधिक आकर्षक बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को आने वाले समय में भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता होगी, जिसमें रूस बड़ी भूमिका निभा सकता है। उर्वरक, रसायन, मशीनरी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में रूसी कंपनियां भारत के लिए महत्वपूर्ण साझेदार बन सकती हैं।

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत का तेजी से बढ़ता बुनियादी ढांचा, शहरीकरण और बढ़ती उपभोक्ता मांग रूसी कारोबारियों के लिए बेहतरीन अवसर प्रस्तुत करती है। उनका मानना है कि यदि रूस की कंपनियां भारत में निवेश करती हैं तो इससे न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार मजबूत होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक संतुलन में सकारात्मक बदलाव आएगा। भारत-रूस के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने दशकों से स्थिर और मजबूत संबंध बनाए रखे हैं। चाहे रक्षा हो, अंतरिक्ष या परमाणु ऊर्जा—हर क्षेत्र में रूस भारत का करीबी सहयोगी रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हालांकि हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार घाटा भी बढ़ा है। इसलिए अब आवश्यकता इस बात की है कि व्यापार को संतुलित और विविध बनाया जाए।

भारत-रूस की दोस्ती दुनिया के सामने मिसाल है : जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती दुनिया के सामने मिसाल है, लेकिन आर्थिक सहयोग को और गहरा बनाने की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे। यह न केवल व्यापारिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है, बल्कि मौजूदा संबंधों को टिकाऊ बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।

भारत का यह कदम अमेरिकी टैरिफ वॉर का स्पष्ट संदेश है कि वह किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने लिए नए साझेदार तथा अवसर तलाशता रहेगा। जयशंकर का यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक कूटनीति में उसकी बढ़ती भूमिका का प्रतीक है।

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