धमकियों का खुलासा
Journalist Rajiv Pratap Death Mystery: उत्तराकाशी के जर्नलिस्ट राजीव प्रताप (Rajiv Pratap) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. मगर ये डेथ मिस्ट्री कई सवाल छोड़ गई है. अभी तक पता नहीं चला है कि आखिर राजीव के साथ हुआ क्या था? इस बीच उनकी पत्नी ने कुछ राज खोले हैं।
पिछले दो दिन से एक खबर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई है. ये खबर है (Uttarakhand) उत्तराखंड के युवा पत्रकार राजीव प्रताप की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की. 10 दिन से लापता राजीव का शव रविवार को जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हुआ था. कुछ लोग इसे सुसाइड से जोड़कर देख रहे हैं तो कईयों का मानना है कि ये हत्या है. सभी के मन में बस एक ही सवाल है कि आखिर राजीव के साथ हुआ क्या? उनकी मौत से परिजन और क्षेत्रवासी आक्रोश में हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद से इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है. जानकारी के मुताबिक, रविवार सुबह करीब 10.40 बजे आपदा प्रबंधन विभाग को झील में शव दिखाई देने की सूचना मिली था. मौके पर पहुंची पुलिस, एनडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की टीम ने शव को बाहर निकाला. परिजनों ने शव की पहचान राजीव प्रताप के रूप में की।
18 सितंबर को हुए थे लापता
शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. राजीव प्रताप 18 सितंबर की रात करीब 11 बजे अचानक लापता हो गए थे. वो अपने एक पुलिसकर्मी दोस्त की कार लेकर गंगोत्री की ओर निकले थे, लेकिन कार अगले दिन भागीरथी नदी में स्यूंणा गांव के पास खाली मिली. परिजनों की तहरीर पर पहले गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया, बाद में इसे अपहरण की धाराओं में बदल दिया गया. पुलिस और एनडीआरएफ ने घटनास्थल व आसपास के इलाकों में दस दिनों तक सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन नतीजा नहीं मिला।
IIMC दिल्ली से की थी पढ़ाई
इधर, राजीव की पत्नी ने एक वीडियो में दावा किया कि उत्तरकाशी जिला अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण उनके पति को धमकियां मिल रही थीं. कहा जा रहा था कि जो वीडियो उनके पास है, उसे डिलीट किया जाए।
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अब ये धमकियां कौन दे रहा था इसकी भी पड़ताल पुलिस कर रही है. राजीव ने दिल्ली IIMC से चार साल पहले पत्रकारिता की पढ़ाई की थी. वह ‘दिल्ली-उत्तराखंड लाइव’ नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का संचालन करते थे.इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से वह उत्तरकाशी के स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहते थे, जिससे उन्हें स्थानीय स्तर पर पहचान मिली थी।
इतिहास क्या है उत्तरकाशी का?
उत्तरकाशी नाम का प्रचलन 1860 से 1870 ईस्वी के बीच शुरू हुआ। प्रसिद्ध इतिहासकार डा. शिव प्रसाद डबराल ‘चारण’ की पुस्तक ‘उत्तराखंड का इतिहास भाग-तीन’ में बाड़ाहाट का विवरण है। राहुल सांकृत्यायन ने ‘हिमालय परिचय’ में और एटकिंसन ने हिमालय गजेटियर में बाड़ाहाट को नागवंशी राजाओं की राजधानी माना है।
उत्तरकाशी किस लिए प्रसिद्ध है?
धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
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