उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र (Kotwali area) के साहबगंज मोहल्ले में रहने वाले अभिनय और इकरा ने एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे. दोनों एक दूसरे के लिए जीने मरने के लिए तैयार थे, लेकिन इकरा के घर वालों को ये रिश्ता मंजूर नहीं था. क्योंकि अभिनय हिन्दू और इकरा मुस्लिम समाज से थी. कुछ वर्ष पूर्व इकरा के घर वालों ने अभिनय के ऊपर कानूनी कार्रवाई कर उसे जेल भेजवा दिया. इकरा के घरवालों ने अभिनय के ऊपर आरोप लगाया था कि इकरा की उम्र कम है. वह अभी कानूनी रूप से बालिक नहीं है और अभिनय उसे वर्गला रहा है।
इकरा के नासमझ और नाबालिग (minor) होने के कारण अभिनय उसके साथ गलत व्यवहार कर रहा है. इकरा के परिजनों की शिकायत के बाद अयोध्या पुलिस ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई करते हुए अभिनय को जेल भेज दिया था. कानूनी दस्तावेज में बीते वर्ष इकरा की उम्र 17 वर्ष बताई गई थी. अभिनय ने मीडिया से बताया कि इस पूरी घटना से समाज में उसका और उसके मां-बाप का बहुत अपमान हुआ था, जिससे वो बहुत दुखी था।
जेल से बाहर आने के बाद रचाई शादी
हालांकि अभिनय दिल से इकरा को चाहता था. अभिनय जब जेल से छूट के आया फिर इकरा से बातचीत शुरू हुई और दोनों ने 9 नवंबर 2025 की तारीख को अपने विवाह की तारीख के रूप में चुना. अभिनय ने बताया कि आज की तारीख बेहद महत्वपूर्ण है आज के ही दिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राम मंदिर का फैसला आया था, जो हमारे सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए गर्व का विषय है. इसलिए आज के दिन ही मैंने इकरा को अपनाने का निर्णय लिया है।
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युवक ने बताई कहानी
अभिनय ने बताया कि पहले लड़की की उम्र 17 साल थी लेकिन अब 18 साल 2 महीने हो गई है. इस वजह से अपनी स्वेच्छा से हम दोनों ने शादी कर ली है. आज का दिन हमने इस वजह से चुना क्योंकि आज ही के दिन राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया था।
वहीं युवती ने बताया कि अभिनय के साथ हम 3 साल से रिलेशन में थे. अब हमारी उम्र 18 साल पूरी हो चुकी है. हमने कोई दबाव में ये फैसला नहीं लिया है. आज हमने हिंदू रीति-रिवाज के साथ शादी की है. शादी करके हमें बहुत अच्छा लग रहा है. पिछले दिनों हमारे मम्मी-पापा उनके ऊपर गलत इल्जाम लगाते थे अब हम चाहते हैं कि हमको सुरक्षा मिले।
राम मंदिर का इतिहास क्या है?
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण आंशिक रूप से निर्मित मन्दिर है जो अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में है। जनवरी २०२४ में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार किया गया और २२ जनवरी २०२४ को इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा की गई। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे राम का जन्मस्थान माना जाता है।
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