Madras: समलैंगिक विवाह पर मद्रास हाई कोर्ट की ऐतिहासिक टिप्पणी

By Surekha Bhosle | Updated: June 5, 2025 • 8:59 PM

विवाह अभी भी गैरकानूनी, लेकिन परिवार की मान्यता संभव

मद्रास उच्च न्यायालय ने एक समलैंगिक जोड़े को साथ रहने और परिवार बनाने की अनुमति दी है. न्यायालय ने कहा कि विवाह परिवार की एकमात्र नींव नहीं है और LGBTQIA+ समुदाय “चुने हुए परिवार” के सिद्धांत के अंतर्गत वैध पारिवारिक इकाई बना सकते हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने समलैंगिक जोड़े को एक साथ रहने और परिवार बनाने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और न्यायमूर्ति वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने कहा कि विवाह परिवार की नींव का एकमात्र आधार नहीं है और LGBTQIA+ समुदाय के सदस्य “चुने हुए परिवार” के सिद्धांत के अंतर्गत एक वैध पारिवारिक इकाई बना सकते हैं।

कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब एक 25 वर्षीय महिला को उसकी महिला साथी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी साथी को उसके पैतृक परिवार ने जबरन हिरासत में ले लिया है और उसकी मर्जी के खिलाफ रखा गया है।

सुनवाई के दौरान, अदालत के सामने पेश की गई महिला ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह समलैंगिक है और अपनी साथी, यानी याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके परिवार ने उसे जबरन घर ले जाकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और कुछ विशेष धार्मिक रस्में करने के लिए मजबूर किया ताकि वह “सामान्य” हो जाए. महिला ने यह भी बताया कि उसे अपनी जान को खतरा है।

कोर्ट ने महिला को रिहा करने का दिया आदेश

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कही ये बात

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